वो यादें बचपन की…
कदम्बिनी और नंदन जैसी भारत की प्रतिष्ठित पत्रिका का बंद होना हिन्दी साहित्य जगत के लिये एक चिंतन और चिंता का विषय है। ये केवल आम पत्रिका का नहीं बल्कि…
कोरबा तहसील के दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों में पहुंची कलेक्टर, लिया अतिवृष्टि से हुई क्षति का जायजा दो दिनो में फसल, मकान, पशु आदि नुकसान का सर्वे कर मुआवजा प्रकरण बनाने दिए निर्देश
कोरबा । मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल द्वारा कल देर शाम वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से समीक्षा बैठक में दिए गए निर्देश के बाद आज कलेक्टर श्रीमती किरण कौशल ने कोरबा…
शशि भैया यूं तो ना जाना था….आपका अनुज रामचंद्र…
कहते हैं कि किसी-किसी का नाम ही काफी होता है परिचय बताने के लिए। ऐसे ही पत्रकारिता जगत में जाना पहचाना चिर-परिचित नाम था शशिकांत शर्मा। अपना अनुभव बताने में…
जफर हसन का आलेख- संघ लोक सेवा आयोग जेहाद
सुदर्शन टीवी चैनल पर एक प्रोग्राम चलाया जा रहा था जो जामेमिलिया इसलामिया के छात्रों को संघ लोक सेवा आयोग के परीक्षा में चुने जाने पर प्रश्न चिन्ह लगा रहा…
नंदन, कादम्बिनी: संपूर्ण हिंदी जगत को आघात
हिन्दी पत्रिकाएँ सामाजिक व्यवस्था के लिए चतुर्थ स्तम्भ का कार्य करती है और अपनी बात को मनवाने के लिए एवं अपने पक्ष में साफ-सुथरा वातावरणतैयार करने में सदैव अमोघ अस्त्र…
तुम तन पर मंडराते मधूप
तुम्हारा इजहार था ,मेरा इंकार ।क्यूंकर ना होता …..मैं सुंदर ,सुकोमल ललना ,तुम आवारा मधुकर से ।कहते तो थे सच्चा प्यार पर ,बँधे तुम देह के आकर्षण से । तभी…
कादम्बिनी मेरी अभिभावक पत्रिका
बहुत ही दुःखद कादम्बिनी है,और नंदन जैसी उच्चस्तरीय पत्रिका का बन्द होना । इस खबर को सुनकर ,पढ़कर मुझे ऐसा लगा जैसे कि मेरे अभिभावक मुझसे सदा सदा के लिए…
हिन्दी की शीर्ष पत्रिका कादम्बिनी नंदन का अवसान-हिन्दी पत्रिकाओं में निस्संदेह कादम्बिनी शीर्ष रही है। ऐसी पत्रिका का अस्तित्व समाप्त होने से बडा दुर्भाग्य क्या होगा!
रामानंद दोषी के बाद प्रधान संपादक रहे राजेन्द्र अवस्थी ने कादम्बिनी को न सिर्फ लोकप्रिय पत्रिका बनाया, अपितु राष्ट्रभाषा के उन्नयन में सर्वाधिक योगदान देने वाला भी सिद्ध किया। इसके…
“लज्जा” तस्लीमा नसरीन के सुप्रसिद्ध उपन्यास को महसूस करें !- प्रिया गोस्वामी
पुस्तक प्रासंगिकता – लज्जा तसलीमा नसरीन द्वारा रचित एक बंगला उपन्यास है। यह उपन्यास पहली बार 1993 में प्रकाशित हुआ था यह पाँचवाँ उपन्यास सांप्रदायिक उन्माद के नृशंस रूप को…