कोरबा । काले हीरे की नगरी कोरबा में पला बढा़ बालक प्रशांत एक दिन कोहिनूर बनकर विश्व चिकित्सा के पटल पर चमकेगा और न सिर्फ अपने शहर और राज्य बल्कि पूरे देश का नाम दुनिया में रौशन करेगा यह भला कौन जानता था।
बचपन से ही मेधावी रहे स्व. श्री सूरज दास नागेश्वर के होनहार पुत्र प्रशांत नागेश्वर ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा केन्द्रीय विद्यालय कोरबा से ग्रहण की। मेडिकल की पढाई के लिये छात्र प्रशांत ने गांधी मेडिकल कालेज, भोपाल में दाखिला लिया और एम बी बी एस की उपाधि हासिल की। स्नातकोत्तर की पढा़ई डाॅ. प्रशांत नागेश्वर ने सफ़दर गंज के ए आई आई एम एस चिकित्सा संस्थान, नई दिल्ली से हासिल की। मेडिकल के क्षेत्र में विशेषज्ञता हासिल करने वे क्विंस कालेज , न्यूयॉर्क भी गये। यू एस ए के मेडिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट वेंकोवर (कनाडा) से भी जुड़े रहे।
वर्तमान में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी बोस्टन में कैंसर स्पेशलिस्ट के रूप में चिकित्सीय सेवाएं दे रहे डाॅ. प्रशांत नागेश्वर की प्रतिभा का ही कमाल था कि बोस्टन विश्वविद्यालय के चिकित्सा संस्थान द्वारा उन्हें स्टेमसेल ट्रांसप्लांटेशन विषय पर व्यापक शोध करने और विश्लेषणात्मक जानकारियों और परिणामों के संग्रहण और उस पर एक पुस्तक लिखने की जिम्मेदारी दी गई ।
डाॅ. प्रशांत ने बोस्टन विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा दी गई जिम्मेदारी को सहर्ष स्वीकार किया और अपने सहयोगी चिकित्सक विद्वानों डाॅ. ऐडविन पी आॅल्या , डाॅ. विंसेंट टी हो और डाॅ. ब्रेत ई गोल्त्जबेकर की टीम के साथ मिलकर चार खंडों में ब्लड ट्रांसप्लांटेशन पर वृहद एवं प्रामाणिक जानकारी से युक्त पुस्तक की रचना की।
विश्व के नामी पब्लिशिंग हाउस ” स्प्रिंगर पब्लिकेशन ” द्वारा शानदार कलेवर में इस पुस्तक को प्रकाशित किया गया है। चार खंडों में प्रकाशित इस पुस्तक ” हैंडबुक आॅफ स्टेमसेल ट्रांसप्लांटेशन एण्ड सेल्यूलर थेरेपि मैनेजमेंट ” का मूल्य 75 डाॅलर रखा गया है। ब्लड ट्रांसप्लांटेशन विषय पर प्रकाशित यह पहली पुस्तक है। हम कोरबा वासियों के लिए हर्ष और गौरव का विषय है कि स्वभाव से मृदुभाषी, हँसमुख और मिलनसार रहे और बहुमखी प्रतिभा के धनी डाॅ. प्रशांत नागेश्वर ने चिकित्सा जगत को दिये गये अपने इस योगदान से समूचे विश्व में हमारे शहर का नाम रौशन कर दिया है।