हैदराबाद।“कहानीवाला” (संगीत, साहित्य,नाट्य कला) द्वारा दिनांक: 13.09.2020 की सायं 4.30 बजे “हिंदी कल आज और कल” विषय पर एक विशेष वेबिनार आयोजित किया गया। जिसमें श्री सुहास भटनागर. प्रदीप देवीशरण भट्ट, ज्योति नारायण, शिल्पी भटनागर,आर्या झा, मंजुला दूसी, हरीश सिंगला कोरबा अंचल से घनश्याम तिवारी, डॉक्टर मंजुला साहू, रमाकांत श्रीवास एवम लखनऊ से डॉक्टर ममता श्रीवास्तव उपस्थित रहे।
“जग से न्यारी जग से प्यारी अपनी हिंदी भाषा है “
ये भी बनेगी लिंग्वा फ्रांका हमको ऐसी आशा है “
हिंदी पखवाड़े की पूर्व संध्या पर आयोजित इस वेबिनार की अध्यक्षता श्री सुहास भटनागर ने की, विशेष अतिथि के तौर पर श्री घनश्याम तिवारी कोरबा पर उपस्थित रहे। कार्यक्रम का आरंभ ज्योति नारायण जी द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वंदना से हुआ। कार्यक्रम का संचालन कोरबा (छत्तीसगढ़ )अंचल से इंजीनियर रमाकांत श्रीवास ने किया। श्री घनश्याम तिवारी ने हिंदी भाषा (राष्ट्र भाषा) के दिनों दिन होते अवसान पर अपनी गहरी चिंता जताई, वहीं आर्या झा ने अपने विचार रखते हुए बताया कि पहले और अब के समय में हिंदी भाषा को लेकर अंतर तो आया किंतु इतना अधिक भी नहीं कि हम निराश हो जाएँ।हरिश सिंगला ने कोर्पोरट में हिंदी के उपयोग पर अपने विचार व्यक्त किये।मंजुला दूसी ने बताया कि वे तेलगू भाषी हैं किंतु उन्हें अपने हिंदी ज्ञान पर संतोष है, डॉक्टर मंजुला साहू जो कि पेशे से एक MBBS डॉक्टर हैं ने सारी पढाई अंग्रेगी में होने के बावजूद घर में बच्चों को हिंदी पढने पढाने पर जोर दिया वहीं डॉक्टर ममता श्रीवास्तव ने हिंदी बोलने में शर्म महसूस करने वालों पर कटाक्ष किया। ज्योती नारायण जी ने विचारों के अतिरिक्त हिंदी भाषा पेरा बेहतरीन कविता प्रस्तुत की। शिल्पी भटनागर ने हिंदी भाषा का जहाँ समर्थन किया वहीं रोज़गार की भाषा अंग्रेजी होने पर अफसोस जताया।संचालन का कार्यभार संभाल रहे रमाकांत ने हिंदी भाषा के उत्थान हेतू प्रयास करने का वचन दिया वहीं प्रदीप देवीशरण भट्ट ने उपस्थित लोगों को लिंग्वा फ्रांका के विषय में जानकारी देकर चकित कर दिया अपने संबोधन में उन्होने बताया कि एथेंस की ग्रीक भाषा विश्व की प्रथम लिंग्वा फ्रांका बनी फिर कैथेलिक रोमन की लैटिन भाषा लिंग्वा फ्रांका बनी फिर अंग्रेगी और वह दिन दूर नहीं जब हमारी हिंदी भाषा भी विश्व की लिंग्वा फ्रांका बनेगी।इसी के साथ उन्होंने लिंग्वा फ्रांका पर एक कविता “जग से न्यारी जग से प्यारी अपनी हिंदी भाषा है, ये भी बनेगी लिंग्वा फ्रांका हमको ऐसी आशा है “ पढ़ी।
अपने अध्यक्षीय भाषण में श्री सुहास भटनागर ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि उपस्थित वक्ताओं ने हिंदी भाषा को बढ़ावा देने एव्म ज्यादा से ज्यादा हिंदी में कार्य करने में जो उत्सुक्ता दिखाई है वे उसे पूरे मनोयोग से पूर्ण भी करेंगे साथ ही उन्होंने हिंदी में रचित नज़्म “जब छ्टी कक्षा में अंग्रेजी आयी थी” पढ़कर सभी को मंत्र मुग्ध कर दिया।
सभा का समापन श्रीमती शिल्पी भटनागर के धन्यवाद ज्ञापन जिसमें विशेष रुप से रमाकांत श्रीवास द्वारा अल्प समय में इस वेबिनार के आयोजन व संचालन की जिम्मेदारी को अच्छी तरह से करने के साथ कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।