बावन अक्षरों से इसका हुआ निर्माण है
देवनागरी लिपि इसकी पहचान है
पास में शब्दों का अकूत भण्डार है
मात्राओं से हुआ इसका श्रृंगार है
बड़ों व छोटों के लिए अलग संस्कार है
दूज भाषा के लिए ये बहुत उदार है
इसके गोद में खेलती बोली हजार है
चन्द्र बिन्दु इसके माथे का चन्दन है
एक शब्द ऊँ में छिपा सारा ब्रम्हाण्ड है
बावन अक्षरों से इसका हुआ निर्माण है
छोटों के लिए प्यार, बड़ों के लिए आदर है
ईश्वर के लिए वंदन तो गुरु के लिए सादर है
सुख- दुख,खुशी-गम सब भावों का उद्गार है
कभी वंदन कभी नन्दन तो कभी आभार है
सूर, तुलसी, कबीर हिन्दी के आसमान है
तो सितारे केशव, मीरा, रहीम, रसखान हैं
दिनकर, निराला, पंत, सुमन कवि महान है
प्रेमचंद, महादेवी, सुभद्रा हिन्दी की शान है
बावन अक्षरों से इसका हुआ निर्माण है
एक सौ बत्तीस करोड़ लोगों की जुबान है
हिन्दी राष्ट्र का गौरव व स्वाभिमान है
दुनियां में हिन्दी का अहम स्थान है
हिन्दी को राष्ट्रभाषा का मिला सम्मान है
देश की आजादी में अहम योगदान है
भारत को जोड़ने का एक अनुसंधान है
बावन अक्षरों से इसका हुआ निर्माण है
अनिल कुमार मिश्रा