हिन्दी का सबसे ऊंचा स्थान होना चाहिये।
हर गली में इसका तो गुणगान होना चाहिये।
चाहे सिख लो तुम अनेकों भाषा पर हिन्दी पे तो,
सबको यारों आज तो अभिमान होना चाहिये।
आन हिन्दी , शान हिन्दी , हिन्दी ही पहचान है,
अपनी भाषा पे हमें गूमान होना चाहिये।
माना की है और भी भाषाएँ ,इस दुनिया में पर,
सबसे पहले हिन्दी का सम्मान होना चाहिये।
ये हमारी है धरोहर ये हमें भुलना नहीं,
अंजु हिन्दी का सदा गुणगान होना चाहिये।
अंजु दास गीतांजलि……✍️पूर्णियाँ ( बिहार ) की क़लम से ???