• Mon. Dec 23rd, 2024

mediasession24.in

The Voice of People

✍️शिक्षक दिवस खास✍️———————————— कोरोनाकाल में कक्षा पहली से पांचवी तक के बच्चों को शिक्षक बन शिक्षा की ज्योति से आलोकित कर रहे दिव्यांग दर्जी चमनसिंह

ByMedia Session

Sep 5, 2020

कोरबा /पाली:- अगर हौसला बुलंद और इच्छा शक्ति दृढ़ हो तो इंसान क्या नही कर सकता।ऐसा ही कुछ बुलंद जज्बा की बानगी पाली विकासखण्ड अंतर्गत ग्राम पंचायत बकसाही निवासी 40 वर्षीय दिव्यांग चमनसिंह मरकाम में देखने को मिला।जो शारीरिक दिव्यांगता के बावजूद भी दर्जी का काम करके अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहे है।लेकिन कोरोना संकट की इस घड़ी में अपने कार्य के अलावा वे शिक्षक के रूप में भी अपना दायित्व निभाते हुए गत जुलाई माह से बच्चों का भविष्य गढ़ते हुए समाज को एक नई दिशा देने का काम कर रहे है।चमनसिंह बचपन से ही दिव्यांग है।लेकिन उनके मन मे हमेशा उन्हें आगे बढ़ने की प्रेरणा दी।और यही वजह है कि वे विगत 10 वर्षों से अपने पैरों के दम पर पायदान घुमाकर कपड़ा सिलाई करते हुए आज वे एक दर्जी के अलावा शिक्षक बन कक्षा पहली से पांचवी तक के बच्चों में ज्ञान का उजियारा फैला रहा है।चमन ने कभी भी अपने दिव्यांगता को कार्यों में आड़े आने नही दिया और यही वजह है कि लाठी के सहारे चलने के बावजूद अपने घर स्कूल मोहल्ला (सुरगुजिहापारा) से रोजाना 1 किलोमीटर चलकर अपने बड़े भाई के निवास स्थल (डिपरापारा) पहुँचकर उनके घर के बाहर बरामदे में सुबह 9 से दोपहर 12 बजे तक निशुल्क कक्षा संचालित कर 25 से 30 बच्चो का भविष्य आलोकित करने का प्रयास कर रहे है।गरीब कृषक पुत्र चमनसिंह बताते है कि उन्होंने बचपन से हार नही मानी एवं आर्थिक चुनौतियों का सामना पूरी निर्भीकता से करते हुए कक्षा बारहवीं की पढ़ाई साइंस लेकर अच्छे अंकों में उंत्तीर्ण की तथा अपनी सोच और हौसलों की बदौलत आज दिव्यांग होते हुए भी स्वयं अपने पैरों पर खड़े होकर दिव्यांगता को पछाड़ते हुए खुद के मेहनत से अपने परिवार की जिम्मेदारी अपने कंधों पर लेकर निर्वह करने के अलावा कोरोनाकाल में शिक्षण संस्था बंद के दौरान स्कूल जाने वाले बच्चों का मौजूदा सत्र शून्य ना हो जाए इस बात को लेकर मोहल्ला क्लास के जरिये उनके हित मे एक सार्थक प्रयास कर रहा हूँ।क्योंकि ग्रामीण एवं वनांचल क्षेत्र में बसने वाले बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा बेहद महत्त्वपूर्ण होती है।ऐसे में शिक्षण संस्था बंद रहने के दौरान शिक्षा से कटने का सबसे ज्यादा डर प्राथमिक स्तर के बच्चों के लिए है।जहाँ वर्तमान हालात में उन बच्चों को पढ़ाई से जोड़े रखना आवश्यक है।क्योंकि नन्हे बच्चों की नींव यदि कमजोर हो तो फिर वे धीरे-धीरे शिक्षा से दूर हो जाते है।चमन का मानना है कि अगर इंसान ठान ले तो शारीरिक दिव्यांगता कभी विकास के आड़े नही आ सकती।और आज शिक्षक दिवस के मौके पर ऐसे शिक्षक के सोच व जज्बे को सलाम जो शिक्षक ना रहते हुए भी बिना किसी स्वार्थ सिद्धि के बच्चों के भविष्य को लेकर शिक्षक बन शिक्षा के क्षेत्र में अपना अहम योगदान प्रदान करने में लगे है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *