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राकेश अचल देश के मूर्धन्य पत्रकार की कलम से- दुश्मन की भी न कटे नाक

ByMedia Session

Sep 5, 2020

आज के जमाने में नाक की सुरक्षा भी एक राष्ट्रीय चुनौती है. हमारे यहां नाक हमेशा से क्या आदिकाल से प्रतिष्ठा का प्रश्न रही है.नाक का सवाल हरदम अनसुलझा बना रहा. नाक ऊंची रखना हमारा संस्कार भी है और संस्कृति भी ,इसलिए आज भी हमारे मनसुख अपनी नाक पर मख्खी नहीं बैठने देते .मख्खी से कह देते हैं-इतना बड़ा शरीर है,कहीं भी बैठ जा,,लेकिन नाक को छोड़ दे.’
हमारे बुंदेलखंड में कहावत भी है और परम्परा भी कि -‘नाक,मूछ,नारी,बारे काये न सँवारी ? ‘
नाक शास्त्र का पहला सूत्र है कि-‘नाक हमेशा ऊंची रखिये’.हमारी दादी,नानी शिशुओं की नाक प्रारम्भ से ही ऊंची उठाने के लिए विशेष तकनीक से मालिश करती थीं.ऊंची नाक की प्रतिष्ठा दुसरे आकार की नाकों के मुकाबले हमेशा अधिक रही है .मंगोलियों और उनसे विकसित जातियों की नाक चपटी होती है ,किसी के नथुने बड़े होते हैं,किसी की नाक की हड्डी इतनी छोटी होती है कि अकड़ में ही नहीं आती .लेकिन फिर भी नाक तो नाक है .कोई उसे हाथ नहीं लगा सकता .
हमारे यहां तो पांच हजार साल पहले नाक की वजह से ही राम-रावण के बीच महासंग्राम हो गया था. लक्ष्मण ने सूर्पणखा की नाक काट दी थी.अरे भाई नाक काटने की जगह कोई दूसरा उपाय अपना लेते ,नहीं नाक ही काटी क्योंकि नाक ही सौंदर्य का अग्रणीय चिन्ह है .सबको सुती हुई आर्यों जैसी नाक पसंद है.किसी की नाक तोतों जैसी होती है ,किसी की शेर जैसी .यानि आप नाक देखकर व्यक्तियों के स्वभाव की कल्पना कर सकते हैं .लम्बी नाक हमारे यहां कार्टूनिस्टों को भी हमेशा पसंद आती रहीं हैं .
आपको किस्सा सुनाऊँ चीन का ,वहां हमारी गाइड माया ने बताया था कि-चीन में लड़कियां लम्बी और उठी हुई नाक वाले लड़कों को ज्यादा पसंद करतीं हैं ,इसलिए अब चीन में आमिर खान और शाहरुख खान जैसी नाकेँ पाने के लिए लड़के आपरेशन करने लगे हैं .इस नए शौक से चीन में प्लास्टिक सर्जनों की उचट कर लगी है ,खूब पैसा कमा रहे हैं .यानि नाक आमदनी का भी जरिया है .
शरीर में नाक ही ऐसा अंग है जिसके जरिये आप सामने वाले को नियंत्रित कर सकते हैं,फिर वो चाहे इंसान हो या पशु .हमारे यहां स्त्रियों को नथ पहनने की प्रथा शायद इसी मिथक से जुड़ी हुई है. हम घोडा हो या ऊँट सबकी नाक में नकेल डालकर उनसे मनचाहा काम करा लेते हैं .नाक में छेद करना और फिर उसमें लकड़ी की निकल डालकर उसे किसी रस्सी के सहारे संचालित करना कितना कष्टसाध्य है .हमारे मनसुख हमेशा इसीलिए नाक वालों के साथ रहते हैं .
मनसुख को बड़ा दुःख है कि अब नाक की कीमत लगातार घटती जा रही है. अब संवैधानिक संस्थाओं तक को अपनी नाक की फ़िक्र नहीं है. पहले नाक कटवातीं हैं और फिर सजा के तौर पर एक रूपये का जुर्माना करतीं हैं .अब्बल तो किसी को नाक पर हाथ डालने की अनुमति ही नहीं देना चाहिए,फिर भी यदि कोई हिमाकत कर बैठे तो उसे एक रूपये में नहीं निबटाना चाहिए .हमारे यहां नाक काटना यानि किसी की अवमानना करना होता है .अवमानना व्यक्ति और संस्था दोनों की होती है.बाकायदा देश में अवमानना करने वालों के लिए सजा का प्रावधान है लेकिन इसका भी जी खोलकर इस्तेमाल नहीं किया जाता .
मनसुख कहते हैं-‘पंडित जी ये तो अच्छा है कि सूर्पणखा की नाक पांच हजार साल पहले कटी ,आज कटती तो बेचारी को एक रूपये में सब्र करना पड़ता .लक्ष्मण के पास क्या धरा था? वे तो वनवासी थे ! आज नाक बचाना सबसे बड़ी चुनौती है क्योंकि नाक काटने के नए-नए तरीक़े प्रचलन में आ गए हैं .बेचारी नाक चाहे जहाँ संकट में पड़ जाती है.आजकल तो चुनाव हो या कुछ और हर जगह नाक का ही सवाल होता है और कटती भी सबसे पहले नाक ही है .
जबसे नाक काटने की सजा दो हजार से घटकर एक रूपया हुई है हमारे मनसुख ने कहना ही छोड़ दिया है कि-‘बड़े नाक वाले हो ? पहले ये मनसुख का तकिया कलाम था.अब मनसुख ने अपना तकिया भी बदल लिया है और कलाम भी .अब मनसुख भूले से भी नाक की बात नहीं करते .उन्होंने अब मख्खियों को भी आजादी दे दी है कि वे उनकी नाक पर जब चाहे तब बैठ सकतीं हैं उन्हें उड़ाया नहीं जाएगा .आखिर मख्खियों का भी तो कोई मख्खियाधिकार है की नहीं !आखिर मख्खियां कहाँ जाकर बैठें ?मख्खियां जानतीं है की ऊंची नाक पर बैठने का मजा ही कुछ और है .
हमारे चंबल में एक डाकू था गब्बर सिंह,उसे नाक बहुत प्रिय थी.वो था भी नाक वाला.अपने दुश्मनों की सिर्फ नाक काटता था.चाहता तो हाथ-पैर,सर काट सकता था लेकिन नहीं,उस सिर्फ नाक काटने में मजा आता था .गब्बर के शिकार आज भी चम्बल के गांवों में मिल जाते हैं .गब्बर की वजह से मध्यप्रदेश सरकार की नाक खतरे में पड़ गयी थी .गब्बर को बड़ी मुश्किल से एक मुठभेड़ में मारा जा सका .अगर गब्बर न मरता तो आज चंबल में नाक वालों से कहीं ज्यादा कटी नाक वाले नजर आ रहे होते .चंबल में आज भी नाक का सवाल सबसे ज्यादा महत्व का है .’ नाक का सवाल न होता तो भला कोई महाराज दल बदलता ?’ मनसुख ने अचानक सवाल दाग दिया .
दुनिया का पता नहीं लेकिन हमारे हिंदुस्तान में नाक सबसे सुकोमल अंग है.आप देखिये जब भी कहीं कुछ गड़बड़ होती है लोग कह उठते हैं की -‘फलां ने नाक में दम कर रखा है ‘.या फलां ने फलां को नाकों चने चबाने पर मजबूर कर दिया .अब नाक चने कैसे चबा सकती है ?लेकिन कहावत है तो है .मनसुख बता रहे थे की हमारी तैयारी भी पड़ौसी चीन को नाकों चने चबाने के लिए विवश करने की है ,हमने रफेल तो मांगा ही लिए हैं बस कुछ तुफैल और चाहिए ! ‘
आप नाक के महत्व को इसी बात से समझ सकते हैं की नाक पापी नहीं होती ,पापी पेट होता है ,अन्यथा कहावत होती -पापी नाक का सवाल है’.हमारे यहाँ प्रेम दीवानी लड़कियां और लड़के अक्सर घर से भागकर अपने माँ-बाप की नाक समाज में कटवा देते हैं .नाक जुड़वाने के लिए पता नहीं कितने ठठकर्म करने पड़ते हैं हमारे यहां .लेकिन एक बार कटी नाक दोबारा ढंग से जुड़ती नहीं है .
नाक ज्योतिष के लिए भी महत्वपूर्ण है. हमरे समुद्रशास्त्री बताते हैं की समुद्रशास्‍त्र में बताया गया है कि यदि किसी व्‍यक्ति की ‘नाक तोते जैसी हो तो उसका भविष्य काफी उज्ज्वल होता है. हमारे मुलायम सिंह इसीलिए देश के रक्षामंत्री तक बने .बड़ी नाक वालों का जीवन विलासता से भरा होता है.ओबामा जैसी सीधी नाक वाले व्यक्ति धार्मिक प्रवृत्ति के आते हैं ,झुकी नाक वालों पर कभी धन की कमी नहीं रहती .चपटी नाक वाले मजाकिया होते हैं जैसे अपने शी जिन पिंग .कहने का असहय ये की नाक का चरित्र से सीधा रिश्ता है .
नाक का असली काम सूंघना और सांस लेना है. नाक न हो तो ये काम कठिन हो जाता है.एक बार सांस तो आप मुंह से भी ले सकते हैं लेकिन गंध केवल नाक ही बता सकती है .जीबविज्ञानियों का कहना है कि उठी हुई नाक मनुष्य की उन्नत जातियों का चिह्न है, हबशी आदि असभ्य जातियों की नाक बहुत चिपटी होती है.नाक के बारे में मनसुख की जानकारी गजब कीहै.वे बताते हैं की नाक का बाल होना घनिष्ठता का प्रतीक है.नाक कटना और नाक काटना दोनों के अलग निहितार्थ हैं .नाक भले छोटी होती है लेकिन रगड़वाई जा सकती है,सिकोड़ी जा सकती है ,टेढ़ी की जा सकती है .गोस्वामी तुलसीदास ने कहा ‘-नाक बनावत आयो हौं नाकहि नाही घिनाकिहि नेकु निहरो ।’नाक पिनाकहि संग सिधाई या सुनि अघ नरकहु नाक सिकोरी ।
हमारे ग्वालियर शहर में एक नेता जी थे डॉ धर्मवीर ,वे जब भी नाराज होते या कोई कुटिल योजना बना रहे होते थे तो अपनीनाक का एक बाल तोड़कर हवा में उछाल देते थे ,एक हैं भगवान भाई साहब उन्हें नाक रगड़वाने में मजा आता है .बाकी किस्से सैकड़ों हैं ,लेकिन अब नाक का अवमूलयन हो रहा है और इससे हम और हमारे मनसुख दुखी हैं .

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