नई दिल्ली । भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और चीनी रक्षा मंत्री वेई फेंगही के बीच शुक्रवार को मॉस्को में मुलाकात हुई । करीब 2 घंटे 20 मिनट चली इस बैठक को बेहद अहम माना जा रहा है. दरअसल पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर तनाव के हालात के बाद ये दोनों नेताओं की पहली फेस टू फेस बैठक थी । कहा जा रहा है कि पिछले चार महीनों से दोनों देशों की सेना LAC पर आमने-सामने है. ऐसे में इस बैठक में तनाव कम करने पर चर्चा हुई. दोनों नेता शंघाई सहयोग संगठन (SCO) सम्मेलन के लिए रूस पहुंचे हैं । इससे पहले भारत के विदेश सचिव हर्षवर्द्धन श्रिंगला ने शुक्रवार को कहा था कि सीमा पर हालात अभूतपूर्व हैं ।
क्या बात हुई दोनों नेताओं के बीच?
सूत्रों के मुताबिक बातचीत के दौरान सिंह ने पूर्वी लद्दाख में यथास्थिति को बनाए रखने की बात कही. इसके अलावा उन्होंने सैनिकों को तेजी से हटाने के मुद्दे पर भी जोर दिया. उन्होंने साफ कहा कि शांति के लिए चीन को सेना पीछे हटानी ही होगी.
दरअसल पिछले हफ्ते पैंगोंग त्सो झील में हुई तकरार के बाद विवाद और ज्यादा बढ़ गया है. भारतीय सेना ने पीपुल्स लिबरेशन आर्मी को पीछे ढकेल रणनीतिक रूप से एक अहम पोस्ट पर कब्जा कर लिया है. ऐसे में भारत के पलटवार से चीन बौखलाया हुआ है. उधर चीन पैंगोंग त्सो के उत्तरी घाट और गोगरा पोस्ट से पीछे हटने को तैयार नहीं है.
राजनाथ सिंह की अपील
भारतीय प्रतिनिधिमंडल में रक्षा सचिव अजय कुमार और रूस में भारत के राजदूत डीबी वेंकटेश वर्मा भी थे. इससे पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एससीओ में अपने संबोधन में कहा कि क्षेत्र में शांति और सुरक्षा के लिए विश्वास का माहौल, गैर-आक्रामकता, अंतरराष्ट्रीय नियमों के प्रति सम्मान और मतभेदों का शांतिपूर्ण समाधान जरूरी है. रक्षा मंत्री के इस बयान को पूर्वी लद्दाख में भारत के साथ सीमा विवाद से जोड़ कर देखा जा रहा है. बता दें कि विदेश मंत्री एस जयशंकर भी अगले सप्ताह एससीओ के विदेश मंत्रियों की बैठक में भाग लेने रूस जा सकते हैं.
सीमा पर हालात अभूतपूर्व
इससे पहले शुक्रवार को विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने कहा कि सीमा पर पिछले 40 सालों में कभी भी ऐसे हालात नहीं बने थे. एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा, ‘भारत-चीन सीमा पर अभूतपूर्व हालात हैं. 1962 के बाद से हमारे सामने इस तरह की स्थिति कभी नहीं रही. हमने पहली बार अपने जवानों को खोया है, जो पिछले 40 वर्षों में कभी नहीं हुआ. जहां तक हमारा संबंध है, हमारी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता में कोई समझौता नहीं होगा. लेकिन, एक जिम्मेदार राष्ट्र के रूप में, हम हमेशा बात करने के लिए तैयार हैं.