□ भ्रष्ट्राचार में पीएचडी करने वाले शातिर सचिव को जनपद अधिकारियों- कर्मचारियों का संरक्षण !
□ विगत वर्ष 2015 में निर्मल ग्राम योजना के 8 लाख की राशि गबन मामले की जांच में भी दोषी सचिव को मिल चुका है अभयदान !
□ आसमान की ऊंचाइयों को छू रहे वरदहस्त प्राप्त सचिव के हौसले !
कोरबा। पाली:- देश मे सूचना का अधिकार कानून का पालन जितनी भी कड़ाई से हो लेकिन जिले में इसका बुरा हाल है।खासकर पाली जनपद पंचायत में जिसके चार दिवारी के भीतर सूचना का अधिकार का कोई असर नही होता।सरकारी तंत्र के क्रियाकलापों की जानकारी आम लोगों के पहुँच में हो और भ्रष्ट्राचार पर अंकुश लग सके इन्हीं उद्देश्यों के साथ देश मे सूचना का अधिकार लागू किया गया है।उक्त कानून 2005 में जब संसद में पास हुआ तब देश के महान न्यायविदों, बुद्धिजीवियों ने इस कानून की तुलना देश की आजादी के बाद दूसरी आजादी से की थी।एक अर्थशास्त्री ने तो यहां तक कहा था कि यदि इस कानून का पचास फीसदी पालन हो गया तो देश को विश्व बैंक से कर्ज लेने की जरूरत ही नही पड़ेगी।सूचना का अधिकार की जानकारी उपलब्ध कराने के लिए सभी विभागों में जनसूचना अधिकारी नियुक्त किया गया है और जानकारी देने के लिए समयसीमा भी निर्धारित किया गया है।किंतु देश का यह कानून जनपद पंचायत कार्यालय में लागू नही होता।संभवतः यही कारण है कि आवेदकों को गुमराह किया जाता है या जानकारी नही दी जाती।
पाली जनपद अंतर्गत रतखंडी पंचायत में कार्यरत शातिर सचिव चंद्रिका प्रसाद तंवर द्वारा तत्कालीन महिला सरपंच श्रीमती सरस्वती देवी के फर्जी हस्ताक्षर से बीते 16 जनवरी 2020 को 2 लाख एवं 03 फरवरी को 1 लाख की राशि 14 वे वित्त मद से आहरण कर गबन कर दिया गया।जिस मामले की लिखित शिकायत तत्कालीन सरपंच द्वारा सीईओ से 30 जून को कर उचित कार्यवाही की मांग की गई थी।मामले में सीईओ एमआर कैवर्त द्वारा जांच हेतु टीम तो गठित किया गया लेकिन जांच के नाम पर केवल औपचारिता निभाते हुए दोषी सचिव को क्लीनचिट दे दिया गया।उधर इसी मामले में पाली निवासी भूषण श्रीवास द्वारा जनपद पंचायत कार्यालय में 18 अगस्त 2020 को सूचना का अधिकार के तहत आवेदन देकर उक्त गबन मामले की शिकायत के आधार पर जांच टीम द्वारा किये गए जांच का प्रमाणित प्रतिवेदन मांगा गया था।जिसके परिपेक्ष्य में सीईओ द्वार 26 अगस्त 2020 को डॉक द्वारा भेजे गए पत्र जो आवेदक को बीते 11 सितंबर को प्राप्त हुआ जिसमें यह उल्लेखित कर कि शिकायत का जांच कर जांच प्रतिवेदन आज दिनाँक तक कार्यालय को अप्राप्त है जिसकी जानकारी उपलब्ध कराना असंभव है अतः आवेदन को निरस्त किया जाता है।इस प्रकार से गुमराह करते हुए मांगी गई जानकारी उपलब्ध नही कराया गया।जनपद कार्यालय के अधिकारी- कर्मचारियों के इस कार्यशैली पर आवेदक द्वारा संदेह जताते हुए भ्रष्ट्र सचिव को संरक्षण देने की बात कही है।तथा आवेदक अब जिला पंचायत में प्रथम अपील के माध्यम से जानकारी का मांग करेगा और यहां से भी उसे चाही गई जानकारी प्राप्त नही होती है तो वह नियमानुसार राज्य सूचना आयोग को द्वितीय अपील करेगा।
गौरतलब है कि जिस शातिर सचिव ने तत्कालीन सरपंच के फर्जी हस्ताक्षर से राशि आचरण कर गबन किया यह उसका कोई पहला कारनामा नही है बल्कि इसके पूर्व में भी सचिव द्वारा ग्राम पंचायत लाफा में दूसरे सचिव के कार्यकाल के दौरान विगत 3 फरवरी 2015 को कटघोरा स्थित ग्रामीण बैंक शाखा के पंचायत खाता से निर्मल ग्राम योजना के तहत शौचालय निर्माण के लिए स्वीकृत 08 लाख की राशि का दो किश्तों में क्रमश प्रथम 3 लाख 90 हजार एवं द्वितीय 4 लाख 10 हजार आहरित कर गबन किया जा चुका है।जिस मामले पर भी ग्रामीणों द्वारा पाली जनपद कार्यालय में लिखित शिकायत किया गया था।जिस पर कोई कार्यवाही नही किये जाने को लेकर ग्रामीणों ने जिला पंचायत सीईओ को लिखित शिकायत दिया था।जहां से जांच का जिम्मा पाली सीईओ को सौंपा गया था।और तब भी जांचकर्ता अधिकारियों द्वारा मिलकर सचिव के भ्रष्ट्राचार पर पर्दा डाल दिया गया था।वर्तमान में सचिव चंद्रिका प्रसाद तंवर दो पंचायत का कार्यभार सम्हाल रहा है।तथा अधिकारियों- कर्मचारियों के संरक्षण व कार्यवाही के अभाव में सचिव के हौसले आसमान की बुलंदियों पर है।ऐसे में पाली जनपद कार्यालय की कार्यशैली और बिगड़ते व्यवस्था की स्थिति पर जिला प्रशासन की खामोशी और भी गंभीर मसला बन गया है।