काश कि मैं तेरी भावनाओं को समझ पाता
इस बिखरे हुए साज को फिर से जोड़ पाता
खूब जख्म सहा तूने, हर एक उँगली का
काश कि तेरी टूटी हुई तरंगों को मैं समेट पाता
हे हारमोनियम! काश कि मैं तेरी भावनाओं को समझ पाता।
जब जब भी तुम पे उंगलियाँ पड़ती रही
हर गम को अकेली यूँ ही सहती रही
मत रो! तेरे बिना अधूरा हर शास्त्रीय संगीत
हर आघात के बाद पूजेंगे यही जीवन की रीत
हे हारमोनियम! काश कि मैं तेरी भावनाओं को समझ पाता।
इस बिखरी हुई सरगम को पुनः जोड़ पाता।
तेरे बिना हर संगीत है “अधूरा”
तू ही तो है जो हर काव्य को करता है पूरा
हो जाती है जब तुम्हारी किसी से सन्धि
मनोहर लगती है फिर तुम दोनों की जुगलबंदी
हर संगीत प्रेमी का गहरा है तुमसे नाता
हे हारमोनियम! काश कि तेरी भावनाओं को मैं समझ पाता।
भूल मत हर महफिल को सजाया है तुमने
अपनी सुरमयी धुन से सबके मन को लुभाया है तुमने
दर्द सहकर नया गीत रचाया है तुमने
हर संगीतकार को अपनी मंजिल तक पहुँचाया है तुमने
जुड़ जाता जब भी किसी से तुम्हारा नाता
जुदा होकर भी तुमसे जुदा हो नहीं पाता
हे हारमोनियम! काश कि मैं तेरी भावनाओं को समझ पाता।
इस बिखरे हुए साज को फिर से जोड़ पाता।
तू हर संगीतकार के आँखो का सुरमयी काजल है
सपनों की ऊँचाई तक ले जाये, तू वो बादल है
सुबह-शाम रियाज तू करवाये
तू भीड़ में हर संगीतज्ञ को एक अलग पहचान दिलाये
नहीं हो पाता तेरा हर किसी से भी राफ्ता
हे हारमोनियम! काश कि मैं तेरी भावनाओं को समझ पाता।
इंजी. रमाकान्त श्रीवास
कोरबा (छ .ग)