
रायपुर / प्रत्येक वर्ष अगस्त माह का प्रथम सप्ताह विश्व स्तनपान सप्ताह के रूप में मनाया जाता है। इस दौरान स्तनपान के लाभों एवं इससे सम्बंधित गतिविधियों का प्रसार प्रचार किया जाता है। शिशु के लिए स्तनपान सर्वोत्तम आहार तो है ही साथ ही यह उसका मौलिक अधिकार भी है। इस बार विश्व स्तनपान सप्ताह 2021 की थीम- ‘स्तनपान की रक्षा: एक साझी जिम्मेदारी’ (Protect Breastfeeding :A Shared Responsibility) रखी गयी है। इस बार भी विश्व स्तनपान सप्ताह 1 से 7 अगस्त 2021 के बीच मनाया जाएगा ।
राज्य बाल रोग एवं टीकाकरण अधिकारी डॉ.विश्वनाथ भगत ने बताया, “शिशु के लिए स्तनपान शिशु का मौलिक अधिकार तथा सर्वोत्तम आहार है । जिन शिशुओं को 1 घंटे के अंदर स्तनपान नहीं कराया जाता उनमें नवजात मृत्यु दर की संभावनाएं 33% बढ़ जाती है। छः माह तक की आयु तक शिशु को केवल स्तनपान कराने पर आम रोग जैसे दस्त एवं निमोनिया के खतरे में क्रमशः 11% एवं 15% कमी लाई जा सकती है । अधिक समय तक स्तनपान करने वाले बच्चों में मानसिक और शारीरिक वृद्धि उन बच्चों की अपेक्षा अधिक देखी जाती है जिन्हें मां का दूध थोड़े समय के लिए मिलता है”।
स्तनपान का फायदा यह भी
स्तनपान का एक फायदा यह भी है कि स्तनपान कराने वाली माताओं में स्तन कैंसर का जोखिम कम रहता है साथ ही यह स्तन कैंसर से होने वाली मृत्यु को भी कम करता है । विभिन्न शोधों से यह स्पष्ट हो चुका है कि स्तनपान न केवल शिशुओं को बल्कि माताओं को भी कई रोगों से बचाता है । शिशु एवं बाल मृत्यु दर में कमी को दृष्टिगत रखते हुए स्तनपान अत्यंत आवश्यक है। जन्म के 1 घंटे के भीतर नवजात को स्तनपान प्रारंभ कर देना चाहिए, साथ ही 6 माह तक केवल स्तनपान ही कराया जाना चाहिए इसके अतिरिक्त पानी भी नहीं देना चाहिए क्योंकि मां के दूध में शिशु की आवश्यकतानुसार पर्याप्त मात्रा में पानी होता है । शिशु के 6 माह पूरे होने के पश्चात् ही उसको उपरी आहार देना शुरू करना चाहिए और शिशु के 2 वर्ष पूरे होने तक स्तनपान जारी रखना चाहिए। इसलिए स्तनपान कराने में माताओं का सहयोग एवं स्तनपान को बढ़ावा दिया जाना अत्यंत महत्वपूर्ण है ।
मां कार्यक्रम स्तनपान को देता है बढ़ावा
भारत सरकार द्वारा वर्ष 2016 में स्तनपान को बढ़ावा देने के लिए (MAA— Mother’s Absolute Affection) मां कार्यक्रम की शुरुआत की थी । डॉ. भगत कहते है, ‘’मां’’ “कार्यक्रम के अंतर्गत सभी चिकित्सा इकाइयों को बेबी फ्रेंडली बनाने का प्रयास किया जा रहा है । इस कार्यक्रम माध्यम से स्तनपान को सफल बनाने के लिए प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मी नियमित रूप से मां और समुदाय के साथ संपर्क में रह रहे हैं जिससे गर्भवती महिला और जन्म के समय से 2 साल तक के बच्चों को नियमित रूप स्तनपान मिलता रहे। चिकित्सा स्वास्थ्य केंद्र में होने वाले प्रसव में चिकित्सक स्टाफ नर्स एलएचवी और एएनएम सभी के द्वारा स्तनपान के लिए परामर्श दिया जा रहा है”।
रायपुर की मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.मीरा बघेल ने कहा, ‘‘मां का दूध शिशु के मानसिक और शारीरिक विकास के लिए महत्त्वपूर्ण है । माँ के दूध को पहला टीका भी कहा जाता है। यह खुद में संपूर्ण आहार है छः माह तक यह शिशु को डायरिया, निमोनिया और कुपोषण से बचाने के लिए आवश्यक है।’’
यह हैं छत्तीसगढ़ के स्तनपान से सम्बंधित आंकड़े
नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे 4 के अनुसार छत्तीसगढ़ में 1 घंटे के अंदर स्तनपान की दर 47.1% है जिसको बढ़ाने की अत्यंत आवश्यकता है इसके लिए चिकित्सक, स्वास्थ्य कर्मी और समुदाय हर स्तर पर सामूहिक प्रयास करने की जरुरत है। इसी क्रम में स्तनपान के व्यवहार को बढ़ावा देने के लिए स्तनपान सप्ताह भी आयोजित किया जाता है ।