ठहर जरा,मत हिल तू ऐसे,
क्या देखे है इधर उधर?
जल्दी से सुन्दर सी बन जा,
ले चलूंगा फिर तुझे शहर ।।
प्यारी सी तू मेरी गुड़िया,
आजा बना दूं तेरी चुटिया।
लगा दूं फिर एक काला टीका,
रुक ले आऊं काजल की डिबिया।।
जहां होंगे हाट और मेले,
चूरन और टिक्की के ठेले ।
बापू संग हम चलेंगे बहना,
और ले लेंगे ढ़ेर खिलौने।।
सुनकर बातें भईया की,
गुड़िया सीधी बैठ गई ।
और हाट के नाम से देखो,
कैसे झटपट रीझ गई ।।
शिल्पी भटनागर
हैदराबाद
nice