
इंडस पब्लिक स्कूल दीपका के विद्यार्थियों ने वाद-विवाद प्रतियोगिता में बढ़चढ़कर हिस्सा, रखी अपनी बेबाक राय ।
ऑनलाइन शिक्षा पध्दति के लाभ एवं हानियाँ थे वाद-विवाद के विषय ।

वाद-विवाद हमारे व्यक्तित्व को निखारने में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं ~डॉ. संजय गुप्ता

छात्रों को अपने मूल्यों और विचारों को विकसित करने और सूचित करने के लिए प्रोत्साहित करता है वाद विवाद प्रतियोगिता का विषय -डॉ. संजय गुप्ता
कोरबा । दीपका। वाद-विवाद हमारे श्रवण और बोलने के कौशल को भी परिष्कृत करते हैं । इसके अतिरिक्त इससे तर्क करने वाले का ज्ञान भी बढ़ता है, जिससे उसकी योग्यता का परीमर्जन होता है ।छात्रों को अपने लेखन और रोज़मर्रा के जीवन में अनुवाद करने वाले कई महत्वपूर्ण कौशल को बेहतर बनाने में मदद करने के लिए बहसें बेहद उपयोगी हैं। सबसे महत्वपूर्ण कौशल छात्रों में से कुछ में शामिल होंगे: सार्वजनिक बोल, अनुसंधान, टीम वर्क, महत्वपूर्ण सोच, स्वतंत्र शिक्षा और रचनात्मक सोच। इसके अलावा, बहस में संलग्न होने से छात्रों को अपने मूल्यों और विचारों को विकसित करने और सूचित करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है, और उन्हें प्रभावी तरीके से कैसे स्पष्ट किया जाए। बहस सामान्य सार्वजनिक बोलने वाले मंचों से भिन्न होती है, जिसमें छात्रों से अपेक्षा की जाती है कि वे न केवल भाग लें, बल्कि अपने विरोधियों के दावे को चुनौती दें।विचारों को साझा करने और सूचनाओं का गंभीर रूप से विश्लेषण करने का एक महत्वपूर्ण तरीका है। एक विषय या प्रश्न के दोनों पक्षों पर सावधानीपूर्वक शोध करने के लिए वक्ताओं को चुनौती देता है, और अपने चुने हुए पक्ष का समर्थन करने के लिए ठोस सबूत के साथ आता है, जबकि एक ही समय में समस्याओं की आशंका और समाधान प्रदान करता है। पहली बार ग्रीस में बहसें शुरू हुईं, जब सुकरात को सबसे ज्यादा माना जाता है कि उन्होंने अपने छात्रों को दार्शनिक और राजनीतिक सवालों के बारे में अधिक गहराई से सोचने के लिए प्रोत्साहित किया।


दीपका स्थित इंडस पब्लिक स्कूल के विद्यार्थियों ने पाठ्य सहगामी क्रिया के अंतर्गत हिन्दी वाद-विवाद प्रतियोगिता में बढ़चढ़कर हिस्सा लिया । इस वाद-विवाद प्रतियोगिता का विषय भी वर्तमान परिस्थिति के संदर्भ में बड़ा सटीक व दिलचस्प था । कक्षा 6 वीं से 8 वीं तक विद्यार्थियों का विषय था-ऑनलाइन शिक्षा पध्दति के लाभ एवं हानियाँ ।

आई.पी.एस. दीपका के विद्यार्थियों ने बड़ी गंभीरता एवं बेबाकी से अपनी राय व्यक्त की । कक्षा 6वीं से लेकर 8 वीं तक विद्यार्थियों ने दिए गए विषय-ऑनलाइन शिक्षा पध्दति के लाभ एवं हानियाँ विषय पर एक से बढ़कर एक रोचक सुझाव व्यक्त किए । अधिकांश विद्यार्थियों ने ऑनलाइन शिक्षा पध्दति के पक्ष में विचार व्यक्त किए तो अनेक विद्यार्थियों ने इसे वर्तमान परिस्थिति के मद्देनजर मात्र एक अस्थायी विकल्प के रूप में अपने विचार रखे । जिन विद्यार्थियों ने पक्ष में अपना विचार व्यक्त किया उनका मानना है कि इस पध्दति से हमें कई विषय विशेषज्ञों की आसानी से मदद मिलती है एवं इंटरनेट के माध्यम से घर बैठे हम अपनी पढ़ाई पूरी करते हैं । इंटरनेट ज्ञान का भंडार है अतः किसी भी विषय को पढ़ने के बाद हम संबंधित विषय को इंटरनेट में आकर्षक विडियोज एवं एनीमेशन के माध्यम से समझते हैं । वहीं अनेक विद्यार्थियों का मानना था कि सबसे प्रभावी व उत्तम शिक्षा व्यवस्था तो पारंपरिक शिक्षा पध्दति ही है क्योंकि ऑफलाइन शिक्षा व्यवस्था में हम कक्षा में अपने विषय शिक्षकों के सम्मुख रहते हैं और वे प्रत्येक बिंदु को बारीकी से ग्रीन बोर्ड में लिखकर हमें समझाते हैं । रही बात इंटरनेट की तो आजकल प्रत्येक स्कूल में हर कक्षा में स्मार्टबोर्ड लगा रहता है जिससे हम कक्षा में भी प्रत्येक विषय को गहराई से समझ सकते हैं, इससे हमें अनुशासन की भी शिक्षा मिलती है और हमारे नैतिक मूल्यों का भी विकास होता है ।

कक्षा 7 वीं एवं 8 वीं की छात्रा ग्रीतिका एवं वंदना ने कहा कि ऑनलाइन शिक्षा से हमें लाभ कम एवं हानियाँ ज्यादा नजर आती है । जहाँ एक ओर निरंतर मोबाईल स्क्रीन पर नजरें डालकर रखने से हमारी आँखों पर गहरा प्रभाव पड़ता है वहीं अनुशासन एवं नैतिक शिक्षा से हम वंचित हो जाते हैं । साथ ही साथ ऑनलाइन परीक्षा से हम विद्यार्थियों की योग्यता का सही-सही व सटीक मूल्यांँकन नहीं कर सकते एवं ऑनलाइन शिक्षा का गलत फायदा उठाकर कई विद्यार्थी ऑनलाइन विडियोगेम खेलकर अपना समय नष्ट करते हैं जो उनके लिए घातक सिध्द होता है ।

विद्यालय के प्राचार्य डाॅ. संजय गुप्ता ने कहा कि विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास हेतु समय-समय पर पाठ्य सहगामी गतिविधियों का क्रियान्वयन अत्यंत आवश्यक है इससे उनकी छिपी हुई प्रतिभा समाने आती है । विद्यालय में उनकी प्रतिभाओं को तराशने का कार्य किया जाता है और हमारी प्रारंभ से ही कोशिश रही है कि हम परिस्थिति जैसी भी हो विद्यार्थियों के सीखने के क्रम की निरंतरता को बनाए रखेंगें क्योंकि सशक्त, सफल एवं आत्मनिर्भर भारत की नींव आखिर ये विद्यार्थी ही है ।

