• Mon. Dec 23rd, 2024

mediasession24.in

The Voice of People

शिक्षक दिवस—बालक -पालक- शिक्षक के रिश्तों को परखता है

ByMedia Session

Sep 4, 2020


भारत के प्रथम उपराष्ट्रपति/द्वितीय राष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिवस 5सितम्बर को मनाया जाता है।उन्होंने अपने जन्मदिवस को राष्ट्र शिक्षकों को समर्पित किया था। वे चाहते थे, कि हमारा राष्ट्र विश्व मे अग्रगणी बने शिक्षक राष्ट्र का निर्माता होता है।देश की शिक्षा से ही देश का भाग्य बनता है, वे एक कुशल शिक्षक उच्च कोटि के दर्शनिक और चिन्तक थे, उनका विचार था कि इस देश को कोई भ्रष्टाचार से मुक्त कर सकता है तो वह है शिक्षा बालक से मतलब है विद्यार्थी ।यूँ तो बालक की प्रथम शिक्षिका उसकी माता ही होती है जो उसे बोलना ,चलना,उठना ,बैठना सब सिखाती हैं।उसके बाद बच्चा विद्यालय में पढ़ने जाता है जहाँ सब विद्यार्थियों के साथ बैठकर अक्षर ज्ञान सीखता है उसके साथ साथ अनके विषय भी पढता है।
शिक्षक ही नेता अभिनेता ,गायक ,नर्तक, शिल्पकार, चित्रकार, लेखक ,कवि ,वकील ,न्यायाधीश, डॉक्टर, इंजीनियर,आदि बनाते है।
किसी भी देश के सुशिक्षित,विचारवान,चरित्रवान
,बलवान स्वाभिमानी देशभक्त नागरिक ही देश को प्रगति
पथ पर आगे ले जा सकते हैं।
इसके लिये –पालक बालक और शिक्षक के रिश्ते को सुदृढ़ बनाना होता है ।आपसी सहयोग ,विश्वास और तालमेल के साथ कदम बढ़ाना होगा।
केवल शिक्षक अकेला कुछ नहीँ कर सकता।
इसके लिए देश की शिक्षा नीति,शिक्षा का माध्यम,पाठ्य सामग्री की उपलब्धता,विषय शिक्षकों की उपलब्धता, स्वास्थ्य प्रद विद्यालय भवन पढाये जाने वाले विषय के प्रति विद्यर्थियों की रुचि,रोजगारोन्मुखी शिक्षा, इन सब बातों का समुचित ध्यान रखा जाना चाहिए।
कुल मिलाकर हम कह सकते हैं कि शिक्षा का उद्देश्य बालक बालिकाओं के चतुर्दिक विकास याने शरीरिक, बौद्धिक, भावनात्मक चारित्रिक विकास करना ही है अर्थात वयक्ति के व्यक्तित्व का सम्पूर्ण विकास हो तभी देश को अच्छा नागरिक और अच्छा नेता मिल पायेगा ।
देश का भविष्य उज्ज्वल होगा,भ्रष्टाचार दूर होगा ।
अब यह सोचने वाले बात है कि विद्यार्थी 24 घँटे में
से मात्र छै या साढ़े छै घण्टे ही विद्यालय में शिक्षकों के सम्पर्क में रहते हैं बाकी 17 -18 घण्टे घर – परिवार के साथ गुजारता है।घर परिवार वालों की बोली ,लहजे, व्यवहार,सोच को अनुकरण करते हुये वह बच्चा से जवान बनता है।इसे अनदेखा नहीं किया जा सकता।
शिक्षक और गुरु एक व्यक्ति या एक हस्ती नहीं होती । हमे इसे ध्यान रखना है। शिक्षक वेतनभोगी होता है। गुरु सेवा भावी निस्वार्थ भाव से समर्पित व्यक्तित्व गढ़ने वाला साँचा होता है।

डॉ चन्द्रावती नागेश्वर
कोरबा छ ग

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *