• Mon. Dec 23rd, 2024

mediasession24.in

The Voice of People

शिक्षक दिवस पर विशेष… शिक्षक : आज भी प्रासंगिक- और सम्माननीय सर्वपल्‍ली राधाकृष्‍णन का जन्‍मदिवस : 5 सितंबर

ByMedia Session

Sep 4, 2020
  1. देश के पहले उप-राष्‍ट्रपति और दूसरे राष्‍ट्रपति सर्वपल्‍ली राधाकृष्‍णन का जन्‍म 5 सितंबर 1888 को हुआ था । इसी दिन के उपलक्ष्‍य में हर साल 5 सितंबर को पूरे देश में शिक्षक दिवस मनाया जाता है।
    राधाकृष्‍णन को भारत रत्‍न, ऑर्डर ऑफ मेरिट, नाइट बैचलर और टेम्‍पलटन प्राइज से नवाजा गया था। वे मद्रास प्रेसिडेंसी कॉलेज से पढ़े थे। बाद में उन्‍होंने मैसूर यूनिवर्सिटी, कलकत्‍ता यूनिवर्सिटी और बीएचयू में पढ़ाया । उन्‍होंने ही देश के दर्शनशास्त्र को दुनिया के नक्‍शे में जगह दिलाई थी । किंग जॉर्ज पंचम ने उन्‍हें 1931 में नाइटहुड की उपाधि दी थी, लेकिन देश आजाद होने के बाद उन्‍होंने अपने नाम के साथ ‘सर’ लगाना बंद कर दिया।
    वे हमेशा कहते थे, ‘अच्‍छा शिक्षक वो है, जो ताउम्र सीखता रहता है और अपने छात्रों से सीखने में भी कोई परहेज नहीं दिखाता.’
  1. शिक्षा जगत और कोरोना काल की चुनौती:

कोरोना ने सबसे ज़्यादा उलटफेर शिक्षा के क्षेत्र में ही किया है । दुनियाँ के लगभग 174 देशों में मार्च से सितंबर के बीच आंशिक या पूर्ण लॉक- डाउन रहा है और जिन देशों में लॉक-डाउन हटा भी लिया गया है,उनमें भी स्कूल और कॉलेज बंद है ।एक ही झटके में करोड़ों विद्यार्थी और लाखों शिक्षक घरों में क़ैद हो कर रह गये हैं अथवा मोबाइल,लैपटॉप ,कंप्यूटर की आभासी दुनियाँ में ।
जो विद्यार्थी और अभिभावक स्मार्ट मोबाइल, लैपटॉप ,कंप्यूटर और तेज स्पीड इंटरनेट की सुविधा की व्यवस्था नहीं कर पाए, उनके लिए शिक्षा प्राप्त करना एक दुस्वप्न बन कर रह गया है।

  1. शिक्षा और शिक्षक समुदाय का बदलता स्वरूप :

स्कूल की इमारतों में, छोटे छोटे क्लासरूम में औसतन 40 विद्यार्थियों को आमने सामने बैठ कर पढ़ाने के आदी रहे शिक्षक अब तकनीक पर निर्भर हो गए हैं। कोरोना से पहले यह तकनीकी ज्ञान अर्जित करना शिक्षकों के लिए वैकल्पिक और वांछनीय था, लेकिन अब परिस्थितियाँ बदल गयी हैं, अब यह तकनीकी ज्ञान अर्जित करना अपरिहार्य हो गया है। ज्ञान, अनुभव और दक्षता सब पर तकनीकी ज्ञान भारी पड़ा है। शिक्षक दिन रात मेहनत कर के खुद को ‘अपडेट’ कर रहे हैं। गूगल-मीट , ज़ूम, माइक्रोसॉफ़्ट टीम्स जैसे आधुनिक टीचिंग-प्लेटफॉर्म के द्वारा पढ़ाना, ऑनलाइन गृहकार्य जाँचना, गूगल फॉर्म से ऑनलाइन परीक्षा करवाना जैसे सब कार्य शिक्षक सीखते जा रहे हैं बिना माथे पर शिकन लाये, शायद इसीलिए शिक्षक आज भी समाज में सबसे अधिक सम्मान के अधिकारी हैं।

4 शिक्षक आज भी प्रासंगिक :

कोरोना, तकनीकी दक्षता और डिजिटल-खाई की चुनौती से जूझ रहे विद्यार्थियों की एक बड़ी संख्या के बावजूद भी शिक्षक विकल्प तलाश रहे हैं खुद के लिए भी और विद्यार्थियों के लिए भी। परस्पर संवाद, बेहतर प्रस्तुतीकरण और अपनी प्रेरक वाणी के साथ साथ अपनी गरिमामयी उपस्थिति से हर साल हजारों,लाखों विद्यार्थियों का जीवन सँवारने वाले शिक्षक आज भी उतने ही प्रासंगिक और सम्माननीय हैं,जितने सदा से थे।

सभी शिक्षकों को शिक्षक – दिवस की हार्दिक शुभकामनायें।

निशिकान्त अग्रवाल, प्राचार्य, केन्द्रीय विद्यालय क्रमांक 2, नौसेनाबाग ,विशाखापत्तनम ( आंध्र प्रदेश )

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *