नई दिल्ली । प्रशांत भूषण के खिलाफ अवमानना मामले में सोमवार को शीर्ष न्यायालाय अपना फैसला सुनाएगी। इससे पहले, मंगलवार को प्रशांत भूषण की सज़ा पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना के मामले में प्रशांत भूषण को सजा सुनाने के मुद्दे पर अटार्नी जनरल से उनकी राय मांगी थी। जिस पर अटारनी जनरल ने कहा कि भूषण का ट्वीट यह बताने के लिए था कि ज्यूडिशरी को अपने अंदर सुधार लाने की जरूरत है, इसलिए चेतावनी देकर भूषण को छोड़ देना चाहिए।
मंगलवार को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भूषण ने सोमवार को कोर्ट में जो अपना बयान दाखिल किया है उसमें उम्मीद थी कि अपने रवैये में भूषण कुछ सुधार करेंगे, लेकिन ऐसा नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने अटार्नी जनरल से कहा कि हमने भूषण को मौका दिया था। गलती हमेशा गलती होती है और संबंधित व्यक्ति को यह महसूस होना चाहिए। कोर्ट की मर्यादा है भूषण ने कहा कि मैं माफी नहीं मांगूगा।
प्रशांत भूषण के वकील राजीव धवन सुप्रीम कोर्ट में कहा कि संसद की आलोचना होती है, लेकिन वह विशेषाधिकार की शक्ति का कम इस्तेमाल करते हैं। सुप्रीम कोर्ट को भी भली मंशा से की गई आलोचना को उसी तरह लेना चाहिए। चीफ जस्टिस एस ए बोबडे एक बाइक पर बैठे थे, सबने देखा। उस पर टिप्पणी अवमानना न समझें। इतिहास 4 पूर्व सीजेआई के बारे में फैसला लेगा। यह कहना अवमानना नहीं माना जाना चाहिए।
इससे पहले, सोमवार को वरिष्ठ वकील और सामाजिक कार्यकर्ता प्रशांत भूषण ने अवमानना मामले में सुप्रीम कोर्ट से बिना शर्त माफी मांगने से इनकार कर दिया था। उनका कहना था कि उनके बयान सद्भावनापूर्ण थे और अगर वे माफी मांगेंगे तो ये उनकी अंतरात्मा और उस संस्थान की अवमानना होगी जिसमें वो सर्वोच्च विश्वास रखते हैं।
गौरतलब है कि 20 अगस्त को प्रशांत भूषण अवमानना मामले में शीर्ष अदालत ने सजा पर सुनवाई टाल दी थी। कोर्ट ने उनको अपने लिखित बयान पर फिर से विचार करने को कहा था और उन्हें इसके लिए दो दिन समय भी दिया था।