विगत वर्ष 2015 में निर्मल ग्राम योजना के 8 लाख की राशि गबन मामले की जांच में भी दोषी सचिव को मिल चुका है अभयदान !
कोरबा/पाली:- पाली जनपद पंचायत अंतर्गत रतखंडी पंचायत में कार्यरत शातिर सचिव द्वारा तत्कालीन महिला सरपंच के फर्जी हस्ताक्षर से 14 वे वित्त का 3 लाख की राशि गबन मामले की तत्कालीन सरपंच द्वारा सीईओ से किये गए लिखित शिकायत मामले की जांच उपरांत कार्यवाही के मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है।
ज्ञात हो कि जनपद पंचायत पाली अंतर्गत दूरस्थ एवं बीहड़ पहाड़ी वनांचल ग्राम पंचायत रतखंडी में कार्यरत शातिर सचिव चंद्रिका प्रसाद तंवर द्वारा बीते 2020 पंचायत चुनावकाल के दरमियान लागू आदर्श आचार संहिता में कूटरचना को अंजाम देते हुए तत्कालीन सरपंच श्रीमती सरस्वती देवी का फर्जी हस्ताक्षर स्वयं से कर और 14 वे वित्त योजना के खाते से दिनाँक 16 जनवरी को 2 लाख एवं 03 फरवरी को 1 लाख की राशि का आहरण कर गबन कर दिया गया।उक्त गबन मामले की लिखित शिकायत तत्कालीन सरपंच श्रीमती सरस्वती देवी द्वारा बीते 30 जून 2020 को जनपद सीईओ एम आर कैवर्त से करते हुए उचित कार्यवाही किये जाने की मांग की थी।जहाँ जनपद सीईओ द्वारा शिकायत के जाँच हेतु टीम गठित कर जांच का जिम्मा सौंपा गया।तथा जांच टीम द्वारा जांच कर प्रतिवेदन जनपद सीईओ को सौंपा जा चुका है लेकिन कार्यवाही को लेकर मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है।जिसे लेकर जनपद कार्यालय के कार्यशैली पर संदेह व्यक्त करते हुए अधिकारियों द्वारा सचिव पर मेहरबान होने का अंदेशा जताया गया है।
उल्लेखनीय है कि शातिर सचिव चंद्रिका प्रसाद तंवर का यह पहला मामला नही जिसमे कूटरचना कर राशि गबन को अंजाम दिया गया हो बल्कि इसके पूर्व में भी सचिव द्वारा इसी प्रकार के कूटरचना को अंजाम दिया जा चुका है।जहाँ ग्राम पंचायत लाफा में दूसरे सचिव के कार्यकाल के दौरान गत 04 फरवरी 2015 को पंचायत निर्वाचन के ठीक एक दिन पूर्व गत 3 फरवरी को कटघोरा स्थित ग्रामीण बैंक शाखा के पंचायत खाता से निर्मल ग्राम योजना के तहत शौचालय निर्माण के लिए शासन से स्वीकृत 08 लाख की राशि का दो किश्तों में क्रमश प्रथम 3 लाख 90 हजार एवं द्वितीय 4 लाख 10 हजार आहरित कर गबन किया जा चुका है।जिस मामले में भी 28 मई 2019 को जिला पंचायत के पूर्व सीईओ इंद्रजीत सिंह चंद्रवाल के पास लिखित शिकायत हुई थी।जहां 04 जून 2019 को पाली जनपद के पूर्व प्रभारी सीईओ एम एस नागेश को जांच का जिम्मा सौंपा गया था।और तब भी जांचकर्ता अधिकारियों द्वारा मिलकर सचिव को क्लीनचिट दिया गया था।इसके अलावा दोषी सचिव को लाफा पंचायत का भी प्रभारी सचिव बना दिया गया।जहाँ चंद्रिका प्रसाद तंवर वर्तमान में दो पंचायत का बतौर सचिव कार्यभार देख रहे है।इस प्रकार कार्यवाही के अभाव में सचिव के हौसले काफी बुलंद है।और ऐसा हो भी क्यों ना क्योंकि जब सैयां भए कोतवाल तो अब डर काहे का…!