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गांधी जी अहिंसा की बात करते , तो दुनिया बहुत गंभीरता से सुनती थी-रोहरानंद


प्रश्न -हमने सुना है, रूस में महात्मा गांधी की मूर्तियां स्थापित हैं इसके बावजूद राष्ट्रपति पुतिन युद्ध कर रहे हैं एक छोटे से देश पर कब्जा करना चाहते हैं यह क्या दोहरी मानसिकता नहीं है। इसके लिए आप किसी दोषी मानेंगे।
सुमित प्रताप सिंह, भाटापारा बलोदा बाजार
+आज दुनिया में एक बार फिर साम्राज्यवादी ताकतें सर उठा रही हैं। जैसा महात्मा गांधी की जीवन काल में हिटलर, मुसोलिनी हुआ करते थे।
मगर आपको एक बात याद रखना होगा कि इन तानाशाह के बीच भी महात्मा गांधी की छवि उज्जवल थी और पूरी दुनिया में महात्मा गांधी की चर्चा होती थी। उनके सिद्धांतों का अनुपालन करने का प्रयास लगातार चलता था। गांधी जी अहिंसा की बात करते थे तो दुनिया बहुत गंभीरता से सुनती थी। उसी समय हिटलर जैसे तानाशाही जर्मनी में स्थापित थे और वे गांधी को महात्मा मानते थे। एक दफा तो हिटलर और गांधी की मुलाकात की भी संभावना बन गई थी। अगर ऐसा हो जाता तो एक ऐतिहासिक घटना होती ।
जहां तक रूस का सवाल है यह आज पुतिन के हाथों में है और पुतिन चाहते हैं कि एक बार फिर रूस महाशक्तिशाली राष्ट्र बने इसलिए उन्होंने आक्रमण कर दिया।
यूक्रेन के राष्ट्रपति भी सत्ता में बने रहना चाहते हैं ऐसे में आज दुनिया इस युद्ध को झेल रही है। आपने कहा महात्मा गांधी की प्रतिमा रूस में चौराहों पर लगी हुई है। आप एक बात ध्यान से समझ ले प्रतिमा का स्थापित होना और उन सिद्धांतों पर चलना अलग-अलग बातें हैं।
प्रश्न – महात्मा गांधी में ऐसी क्या बात है कि आप उनके रास्ते पर चल पड़े हैं जबकि उन्हें तो देश के बंटवारे का दोषी माना जाता है।
राजेश सोनी, कोरबा
-मेरा भी आपसे एक प्रश्न है क्या आप महात्मा गांधी को उनके काम को उनके सिद्धांतों को जीवन से निकाल देंगे। क्या आप सत्य , अहिंसा को नहीं मानते। हम मनुष्य मुलत: अहिंसा वादी हैं स्वभाव से हम लोग सत्यवादी हैं। यह तो हमारे मस्तिष्क में बैठा हुआ शैतान है, मोह माया है जो हमें झूठ बुलवाने पर मजबूर कर देती है।
कोई भी मनुष्य बिना वजह किसी पर आक्रमण नहीं करता। मेरा यह मानना है कि मोहनदास करमचंद गांधी दुनिया के एक अनुपम व्यक्ति रहे हैं। हमें सुनी सुनाई बातों में नहीं जाना चाहिए। हमें महात्मा गांधी का संपूर्ण वांग्मय पढ़ना चाहिए। 100 खंडों में फैला हुआ है। आप सिर्फ चंद पन्ने पढ़ लीजिए और उसके बाद फिर एक बार जरूर प्रश्न कीजिएगा।
प्रश्न -राम और रावण, गांधी गोडसे। यह कैसा संयोग है। मैं कई बार सोचता हूं यह संयोग है या विधि का विधान। यह कैसे हो गया यह एक चमत्कार है या संयोग आपके शब्दों में।
-रोहित शर्मा, रामगढ़, झारखंड
+सीधे-सीधे यह एक संयोग है। इसके ज्यादा डीप में तो कोई ज्योतिषी ही जा सकता है। और मैं ज्योतिष की बात इस स्तंभ में क्या करूं मैं तो इतना जानता हूं कि यह सिर्फ और सिर्फ एक संयोग है। हां, आप जैसे लोगों के लिए सोचने पर कुछ सामग्री हाथ आती है लोग सोचते हैं कि यह सब विधि का विधान हो सकता है। मगर है तो यह सब मन की भ्रांतियां।
आपसे हम भी यही आग्रह करते हैं कि इन छोटी-छोटी बातों पर मत जाइए आप अपनी ऊर्जा सकारात्मक चीजों में लगाइए अपना समय देश दुनिया के महान विद्वानों को पढ़ने में लगाइए। जिससे आपको कुछ ना कुछ जरूर मिलेगा।
प्रश्न -क्या महात्मा गांधी ने आजादी के आंदोलन में सुभाष चंद्र बोस, भगत सिंह के साथ अन्याय किया। क्या महात्मा गांधी कि यह बड़ी गलतियां थी आप क्या सोचते हैं कृपया हमें अपना मार्गदर्शन दें।
-सुधीर वर्मा, अंबिकापुर सरगुजा
-यह विवाद बहुत पुराना है। अक्सर लोग महात्मा गांधी का छिद्रावेषण करने के लिए बढ़ा चढ़ा कर के बोलते हैं। ऐसी बातें लिखते पढ़ते रहते हैं ।यह बात आप को मजबूती के साथ समझनी होगी कि विवाद तो आपके मेरे बीच भी किसी भी बात पर हो सकता है। हमारे आसपास के लोगों के साथ भी विवाद होते हैं। मगर हमें समभाव बनाए रखना चाहिए और सौभाग्य से हमारे राष्ट्रीय नेता चाहे वे सुभाष चंद्र बोस हो अथवा भगत सिंह अथवा हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने सदैव यह बनाए रखा।
यही कारण है कि भगत सिंह हो या सुभाष चंद्र बोस ने गांधी को महात्मा कह करके, राष्ट्रपिता कहकर सम्मान दिया।
कुछ लोग ऐसे होते हैं जो बातों को बड़ा कर के वाद विवाद प्रस्तुत करते हैं । हमें अपनी सोच को वैज्ञानिक रखना चाहिए और निष्पक्ष भाव से चीजों को तौलना चाहिए। अगर हम अपनी बुद्धि का जरा भी प्रयोग करें तो हममें निष्पक्ष निर्णय लेने का माद्दा पैदा होगा।
प्रश्न – हमारे देश भारत में जिसे महात्मा गांधी ने आजादी दिलाई उनकी खूब आलोचना होती है यहां तक की उनकी मूर्तियों पर हमला हो रहा है यह सब क्या है क्यों हो रहा है।
-राजेश जैन, रतनपुर, बिलासपुर
-आप यह समझ सकते हैं कि यह विचारधारा की लड़ाई है। जैसे एक विचारधारा महात्मा गांधी की है जो लोगों को सत्य, सर्वोदय, ब्रम्हचर्य, अहिंसा आदि कई ज्ञान देती है दिशा बताती है वैसे ही एक विचारधारा है जो भावी पीढ़ी को सतमार्ग से विमुख करना चाहती है।
महात्मा गांधी ने पाकिस्तान को ₹50 करोड़ रुपए देने के समझौते को लागू करके उन रुपयों को जारी करने के लिए सरकार से कहा था। मगर पंडित जी इधर उधर देख रहे थे।
बाद में गोडसे यह कहने लगे कि महात्मा गांधी की हत्या हमने इस वजह से की थी।
अब अपनी बात को मनवाने का यह कैसा तरीका है और मैं आपके माध्यम से इस स्तंभ में लोगों से पूछना चाहता हूं क्या गोडसे ने कभी कोई पत्र लिखकर या सामने आकर महात्मा गांधी से कहा था कि यह ऐसा आप मत करें उन्होंने ऐसा क्या तर्क रखा था कि पाकिस्तान को रुपए नहीं दिए जाते।
और जहां तलक मूर्तियों को तोड़ने का सवाल है महात्मा गांधी ने तो साफ कर दिया था कि मेरी कोई मूर्ति न लगाई जाए इसके बावजूद उनके चाहने वाले मूर्तियां स्थापित करते हैं। मैंने भी कोरबा जिले के अनेक गांव में महात्मा गांधी की मूर्तियां निशुल्क प्रदान करके स्थापित करवाई हैं दोनों हो जाता है अपना अपना काम कर रही हैं।
gandhishwar.rohra@gmail.com

