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लक्ष्य दंपतियों के लिए वरदान ‘’मोर मितान मोर संगवारी,भ्रांतियों को किया जा रहा दूर

ByMedia Session

Nov 25, 2021

तिल्दा व रायपुर से निखिल वाधवा की रिपोर्ट…

पुरुषों ने परिवार नियोजन अपनाया, सुखी परिवार का आधार बनाया’’ की थीम पर मनाया जा रहा पुरुष नसबंदी पखवाड़ा

तिल्दा/रायपुर/ पुरुष नसबंदी पखवाड़ा के प्रथम चरण में “मोर मितान मोर संगवारी” कार्यक्रम लक्ष्य दंपत्तियों की भ्रांतियों को दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है । इस कार्यक्रम के माध्यम से चौपाल लगाकर इच्छुक लक्ष्य दम्पत्तियों को पुरुष नसबंदी के विषय पर विस्तृत जानकारी देकर लोगों के बीच फैली भ्रांतियों को दूर करने का प्रयास किया जा रहा है ।
प्रदेश में पुरुष नसबंदी के लियें मोबिलाइजेशन सप्ताह चलाया जा रहा है जो 27 नवंबर तक चलेगा । इस दौरान पुरुष नसबंदी के लिए संभावित लाभार्थियों का पंजीकरण किया जा रहा है । इसके बाद 28 नवंबर से 4 दिसंबर तक सेवा वितरण चरण के तहत पुरुष नसबंदी की प्रक्रिया की जाएगी ।
समस्त गतिविधियों को कोविड-19 से संबंधित जारी गाइडलाइन के तहत समस्त सावधानियां को सुनिश्चित करते हुए मनाया जा रहा है ।
विकासखंड कार्यक्रम प्रबंधक, तिल्दा ममता सुनानी ने बताया, ‘’इस बार पुरुष नसबंदी पखवाड़ा को “पुरुषों ने परिवार नियोजन अपनाया, सुखी परिवार का आधार बनाया’’ की थीम पर मनाया जा रहा है। ग्राम कुम्हारी में मोर मितान मोर संगवारी और मितानिन दिवस का भी आयोजन किया गया था । साथ ही पुरुष नसबंदी पखवाड़ा के तहत ग्राम कुम्हारी में प्रथम चरण में “मोर मितान मोर संगवारी” कार्यक्रम के तहत योग्य और लक्ष्य दंपत्तियों की भ्रांतियों को दूर करने के लिये विषय विशेषज्ञों द्वारा पुरुष और महिला नसबंदी के प्रति फैली भ्रांतियॉ को दूर किया जा रहा है । पुरुष नसबंदी बहुत ही सरल है और कम समय में होने वाली प्रक्रिया है। साथ ही इसमें कोई तकलीफ भी नही होती है जबकि महिला नसबंदी कराना एक जटिल प्रक्रिया है और इसमें महिलाओं को अपने स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखना पड़ता है और घरेलू कार्य भी प्रभावित हो सकता है।‘’
ममता सुनानी के अनुसार शत-प्रतिशत उपलब्धि हासिल करने के लियें प्रथम चरण में उन लोगों को भी चौपाल में बुलाया जा रहा है जो पूर्व में नसबंदी करा चुके हैं| दम्पत्तियों को चौपाल में बुलाकर उनके माध्यम से लोगों को प्रोत्साहित करने की अपील करने को कहा गया है। पुरुष नसबंदी से लाभ के बारे में इच्छुक दम्पत्तियों को जानकारी दी जा रही है ताकि दम्पत्ति बिना कोई भय अथवा दबाव के निर्भीक होकर नसबंदी की सेवाएं प्राप्त कर सकेंगे।
चौपाल में पुरुष नसबंदी को प्रोत्साहित करने आये दम्पति टेमन साहू (बदला हुआ नाम) ने बताया,“हमारा विवाह वर्ष 2014 में हुआ था । हमारे दो बच्चे है । मैं और मेरी पत्नी अब और बच्चे नही चाहते है । इसलिए पुरुष नसबंदी कराई है ।‘’ टेमन कहते है नसबंदी करा लेने के बाद भी वह पहले से खुद को अधिक ऊर्जावान महसूस करता है| और साथ ही अब पत्नी के गर्भधारण करने की चिंता भी नहीं है । उनके अनुसार स्थाई साधन के रूप में पुरुष नसबंदी एक पक्का और अच्छा साधन है ।
“पुरुष नसबंदी महिलाओं की तुलना में बहुत ही सरल प्रक्रिया है। समाज में तरह-तरह की भ्रांतियां फैली है की पुरुष नसबंदी कराने से क्षमता कम हो जाती है| यह पूरी तरह से गलत है मैं और मेरी पत्नी पूरी तरह से एक दूसरे से संतुष्ट हैं,’’ टेमन साहू कहते है ।

क्या कहते है एनएफएचएस-5 के आँकड़े

छत्तीसगढ़ प्रदेश में पुरुष नसबंदी नैशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (एनएफएचएस)-4 (NFHS-4) 2015-16 में जहां पुरुष नसबंदी कुल 0.7 प्रतिशत थी वही एनएफएचएस-5 (NFHS- 5) 2020-21 में यह 0.8 प्रतिशत है जो स्थिर ही रही है । इसमें शहरी क्षेत्र में 0.4 और ग्रामीण क्षेत्र में 0.9 प्रतिशत हुई है।

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