जशपुर । जिले में आत्महत्या दर को कम करने के लिए `लक्ष्य’ कार्यक्रम शुरू किया गया है जिसके अंतर्गत 42 स्पर्श क्लिनिक खोले जायेगें जहां मानसिक रोगियों की निशुल्क जांच और उपचार किया जाएगा|
अभी तक जिले में 5 स्पर्श क्लिनिक खोले जा चुके हैं। माह अंत तक सभी चिन्हित 42 जगहों पर स्पर्श क्लिनिक खुल जाएंगे।
कलेक्टर महादेव कावरे की अध्यक्षता में शत प्रति मानसिक रोगियों की जांच और उपचार के लक्ष्य के साथ यह कार्यक्रम चलाया जा रहा है। आत्महत्या दर को 2022 तक 15 प्रति लाख करने और जिले के 34 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, 8 सामुदायिय स्वास्थ्य केंद्रों में 42 स्पर्श क्लिनिक शुरू करवाना इस कार्यक्रम का लक्ष्य है। स्पर्श क्लिनिक एक ऐसी जगह है जहां मानसिक रोगियों के इलाज के साथ-साथ उनका नाम भी गोपनीय रखा जाता है। कोरोना संक्रमण काल में लोगों की नौकरियों का छूटना, बेघर होना और संक्रमण का डर होने के कारण मानसिक तनाव का होना स्वाभाविक है। ऐसे में स्पर्श क्लिनिक द्वारा काउंसलिंग कर सभी को तनाव से बचने के आवश्यक उपायों के बारे में जानकारी प्रदान की जा रही है। कोरोना के इस दौर में टेलीमेडिसिन सुविधा एक बेहतर विकल्प के रूप में उभरी है जिस पर लोग अपनी समस्या का निदान पा रहे हैं। इस सुविधा का लाभ लेने के लिए लोगों को टोलफ्री नंबर 104 पर कॉल करना होता है। उसके बाद विशेषज्ञों द्वारा उनको परामर्श दिया जाता है।

जिला मानसिक चिकित्सा के नोडल अधिकारी डॉ. कांशीराम खुसरो बताते हैं: “आत्महत्या के मामले में जिले की दर 24.85 व्यक्ति प्रति लाख है जो राष्ट्रीय आत्महत्या के दर से बहुत ज्यादा है। आत्महत्या की दर को 2022 तक 15 व्यक्ति प्रति लाख तक करने का हमारा लक्ष्य है। इसके लिए बीते आठ सप्ताह से सीएचसी, सीएचसी व जिला अस्पताल के आरएम और डॉक्टर्स की ट्रेनिंग निम्हास (नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एण्ड अलीड स्कीनकेस (निम्हास- बेंगलुरू) के डॉ. गोपी गजा द्वारा लिया जा रहा है। अगले सप्ताह के गुरूवार और शुक्रवार को ट्रेनिंग का आखिरी सेशन है। ‘’
विदित हो कि मानसिक रोग आत्महत्या की एक बड़ी वजह होती है। तनावग्रस्त व्यक्ति अक्सर तनाव से निपटने के लिए कई बार आत्महत्या की राह चुन लेता है या फिर मानसिक रोग का उपचार न होने के कारण रोगी अपनी जान लेता है। मानसिक रोगों से जुड़ी गलत धारणाओं की वजह से परिवार ऐसे रोगों को छिपाते है। बीते 6 महीने में जशपुर जिले में 100 से अधिक लोगों ने आत्महत्या की है और 220 से अधिक लोगों ने आत्महत्या का प्रयास किया है।
शुरूआत में ही उपचार जरूरी : डॉ. खुसरो
डॉ कांशीराम खुसरो ने बताया: “मानसिक रोगों के साथ अक्सर गलत भ्रांतियां जुडी होती हैं जिस कारण ऐसे लोग उपचार के लिए नहीं आते हैं और मानसिक तकलीफ को दूसरों को बताते भी नहीं हैं। मानसिक रोग का अगर शुरू में ही उपचार हो तो रोगी पूरी तरह से ठीक हो सकता है और सामान्य जीवन व्यतीत कर सकता है। जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत किसी भी प्रकार के मानसिक रोग के उपचार के लिए जिला चिकित्सालय में स्पर्श क्लिनिक के माध्यम से आत्महत्या या आत्महत्या के प्रयास के रोगी, तम्बाकू के नशे के आदि, शराब के आदी, तनाव ग्रस्त, सायकोसिस, न्युरोसिस के रोगियों सहित अन्य मानसिक रोगी को निशुल्क परामर्श प्रदान की जा रही है।‘’
क्या कहते हैं आंकड़ें
राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य सर्वे 2015-16 के अनुसार छत्तीसगढ़ में 11.66 % लोग मासिक रोगों से पीड़ित हैं और 14.06% लोग जीवन काल में किसी प्रकार के मानसिक विकार से ग्रसित होते हैं। इन में तंबाकू खाने के आदि 29.86% और शराब पीने के आदि 7.14 % लोग है। प्रदेश में 1.59% लोगों को डिप्रेशन यानि अवसाद है और 2.38 % लोगों को स्ट्रेस है जबकि 1% से कम लोगों को गंभीर मानसिक रोग है। नेशनल क्राइम रिकार्ड्स ब्यूरो के अनुसार 2019 में छत्तीसगढ़ में आत्महत्या की दर 26.4 प्रति लाख थी जो पूरे राष्ट्र में चौथे नंबर पर है।