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डॉ.सुरेश यादव का आलेख- “गांधीजी और सत्याग्रह”

ByMedia Session

Oct 1, 2020

गांधी जी ने भारतीय नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करने एव भारत माता को अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त कराने के लिए कई आंदोलन किए, जिसमें सत्याग्रह मुख्य था। सत्याग्रह का प्रारम्भ सर्वप्रथम दक्षिण अफ्रीका में हुआ। उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में शोषण, अन्याय एवं रंगभेद की नीति के विरुद्ध सत्याग्रह आंदोलन किया था।

सत्य के लिए प्रेम पूर्वक आग्रह करना ही ‘सत्याग्रह’ का शब्दिक अर्थ है -अन्याय का सर्वथा विरोध करते हुए अन्यायी के प्रति वैरभाव न एखना सत्याग्रह का लक्षण है। सत्याग्रह में अपने विरोधी के प्रति हिंसा के लिए कोई स्थान नहीं है। धैर्य एवं सहानुभूति से विरोधी को उसकी गलती से मुक्त करना ही सत्याग्रह का आशय है। सत्याग्रह में स्वयं कष्ट उठाने की बात है। सत्य का पालन करते हुए मृत्यु के वरण की बात है । ‘उपवास’ सत्याग्रह का सबसे शक्तिशाली अस्त्र है। सत्याग्रह के मूल में अहिंसा, सत्य, सर्वधर्म समभाव आदि व्रत है। गांधी जी के आंदोलन की सफलता का सबसे बड़ा कारण उनके साथ जनता का हो जाना था।

भारतीय इतिहास के कुछ प्रमुख सत्याग्रह आंदोलन इस प्रकार हैं:-

  1. महाड़ का सत्याग्रह :- भीमराव अम्बेडकर की अगुवाई में 20 मार्च 1927 को महाराष्ट्र राज्य के रायगढ़ जिले के महाड़ स्थान पर, दलितों को सार्वजनिक चावदार तालाब से पानी पीने और इस्तेमाल करने का अधिकार दिलाने के लिए किया गया एक प्रभावी सत्याग्रह था। इस सत्याग्रह में हजारों की संख्या में दलित लोग अम्बेडकर के नेतृत्व में चावदार तालाब पहुंचे और अम्बेडकर ने प्रथम अपने दोनों हाथों से उस तालाब का पानी पीया, फिर हजारों सत्याग्रहियों द्वारा उनका अनुकरण किया गया ।
  2. नमक सत्याग्रह :- इसे नमक मार्च, दांडी मार्च के रूप में जाना जाता है। महात्मा गांधी के द्वारा सन 1930 में अंग्रेज सरकार द्वारा नमक के ऊपर कर लगाने के कानून के विरूद्ध किया गया सविनय कानून भंग कार्यक्रम था। इस ऐतिहासिक सत्याग्रह कार्यक्रम में गांधी जी समेत 78 लोगों ने अहमदाबाद में साबरमती आश्रम से समुद्र के तट पर स्थित गाँव दांडी तक पैदल यात्रा करके 12 मार्च 1930 को जीवनोपयोगी नमक अपने हाथ में लेकर नमक विरोधी कानून को भंग किया था आंदोलन एक वर्ष चला और गांधी-अंग्रेजों के बीच हुए समझौते से खत्म हुआ।
  3. झण्डा सत्याग्रह :- ध्वज सत्याग्रह भारत के स्वतंत्रता संग्राम के समय का एक शांतिपूर्ण नागरिक अवज्ञा आंदोलन था, जिसमें लोग राष्ट्रीय झण्डा निजी एवं सार्वजनिक इमारतों में फहराने के अपने अधिकार के तहत् जगह-जगह झण्डा फहरा रहे थे। यह आंदोलन 1923 में नागपुर में मुख्यतः हुआ. किन्तु भारत के अन्य स्थानों पर भी अलग-अलग आंदोलन हुए। अंग्रेजों ने आंदोलन को कुचलने की कोशिश की राष्ट्रवादी नागरिक – स्वतंत्रता को प्रतिबंधित करने पर इसका विरोध कर रहे थे। संघर्ष के दौरान गांधी जी और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के राष्ट्रवादी नेतागण गिरफ्तार किए गए।

04.चम्पारण सत्याग्रह :- गांधी जी के नेतृत्व में बिहार के चम्पारण जिले में सन् 1917 में एक सत्याग्रह हुआ। इसे चम्पारण सत्याग्रह के नाम से जाना जाता है। गांधी जी के नेतृत्व में भारत में किया गया यह पहला सत्याग्रह है। चम्पारण में अंग्रेजों ने यह व्यवस्था कर रखी थी कि हर बीघे में तीन कट्टे जमीन पर नील की खेती किसानों को करनी ही होगी। नील की खेती से किसानों को कोई फायदा नहीं होता था। उन्होंने इसका विरोध किया, जिसके एवज में उन्हें अंग्रेजों की प्रताड़ना का शिकार होना पड़ा। महात्मा गांधी ने 15 अप्रैल को चम्पारण की धरती पर अपना पहला कदम रखा। पीड़ित किसानों का साथ मिला। अहिंसक तरीके से लड़ाई लड़ी। इसका परिणाम हुआ का अंग्रेजी सरकार को झुकना पड़ा। इस तरह पिछले 135 सालों से चली आ रही नील की खेती बन्द हुई और किसानों का शोषण हमेशा के लिए समाप्त हुआ। चम्पारण आंदोलन से गांधी जी को ‘महात्मा’ की उपाधि से विभूषित किया गया।

  1. खेड़ा सत्याग्रह :- सन् 1918 में गुजरात के खेड़ा जिले के किसानों की पूरे साल की फसल बर्बाद हो गई थी। इस दृष्टि से किसानों की लगान माफ होनी चाहिए थी. पर अंग्रेज अधिकारियों ने उनकी एक न सुनी और कर वसूली नहीं छोड़ा। महात्मा गांधी ने उन्हें सत्याग्रह करने की सलाह दी। किसानों को बढ़ाया हुआ कर देने की अपेक्षा अपनी भूमि को अंग्रेजों के हाथों जप्त कराने के लिए तैयार किया। यह सत्याग्रह चल पड़ा। सरकार को अपनी भूल का अनुभव हुआ और उसने किसानों से लगान की
    वसूली बंद कर दी।
  2. बरडोली सत्याग्रह :- गुजरात के किसानों द्वारा सन् 1928 में किया गया आंदोलन बरडोली सत्याग्रह के नाम से जाना जाता है। इसके नेतृत्वकर्ता सरदार वल्लभभाई पटेल थे। अंग्रेज सरकार द्वारा भारतीय किसानों के लगान में 30 प्रतिशत की वृद्धि कर दी गई थी इसका सर्वत्र विरोध हुआ। अन्त में जाँच हुई तथा लगान घटाकर 6.03 प्रतिशत किया गया। इस सत्याग्रह आंदोलन में सफल होने के बाद महिलाओं ने सत्याग्रह के नेतृत्वकर्ता सरदार वल्लभभाई पटेल को सरदार’ की उपाधि प्रदान की।

मोहनदास करमचंद गांधी भारत एवं भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के प्रमुख राजनीतिक एवं आध्यात्मिक नेता थे। विश्व पटल पर महात्मा गांधी सिर्फ एक नाम नहीं अपितु शांति और अहिंसा का प्रतीक है महात्मा गांधी युग पुरूष थे, जिनके प्रति पूरा विश्व आदर की भावना रखता था। ऐसे महामानव के 151वीं जयंती पर उन्हें शत् शत् नमन, ।

डॉ.सुरेश यादव
जांजगीर
जिला : जांजगीर-चाम्पा (छ.ग.)
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