▪कोरोना और प्राकृतिक आपदाओं
के चलते नहीं उबर पा रहे
एमएसएमई उद्योग
▪सहायता न मिली तो अधिकांश उद्योग
हो जाएंगे एनपीए
भिलाई नगर .एमएसएमई उद्योग संघ दुर्ग जिला के अध्यक्ष के.के. झा ने कोरोना और प्राकृतिक आपदाओं के चलते एमएसएमई उद्योगों की स्थिति पर गंभीर चिंता जताई है. उन्होंने मांग की है कि शासन द्वारा एमएसएमई उद्योगों के लिए मोनिटेरियम पीरियड को 4 माह के लिए और बढ़ाया जाए. साथ ही इन उद्योगों की सहायता के लिए कोविड-19 फंड से 20% की राशि और बढ़ाई जाए. उन्होंने आगाह किया है कि यदि सहायता न मिली को अधिकांश उद्योग एनपीए हो जाएंगे.
श्री झा ने कहा कि एमएसएमई उद्योगों को 6 माह का मोनिटेरियम पीरियड दिया गया था लेकिन कोविड -19 फंड सही तरीके से नहीं बंटा. कुछ ना कुछ कागजी कार्रवाई में दिक्कत आती रही जिसके कारण उद्योगों को इसका 100% फायदा नहीं मिला है. आज स्थिति यह है कि पूरे देश में अनलॉक एवं महामारी के कारण अलग-अलग प्रदेशों एवं स्थानों पर लॉकडाउन लगाया जाता रहा है. एक तरफ चौथा अनलॉक पीरियड शुरु हो गया हैं वहीं कई प्रदेश ऐसे हैं जहां लॉकडाउन है. जिसके कारण स्थिति में उतना सुधार नहीं है जिसकी अपेक्षा की जा रही थी. आज उद्योगपति परेशान हैं क्योंकि कच्चे माल की आपूर्ति या फिर जो सामग्री बनकर तैयार है उसे गंतव्य स्थल तक भेजना या फिर वहां से मंगाना संभव नहीं हो पा रहा. क्योंकि दोनों जगह, कहीं ना कहीं कोरोना को लेकर कंटेंट जोन की स्थिति है.
श्री झा ने कहा कि कोरोना के साथ साथ हाल ही में कुछ राज्यों में आई बाढ़, बारिश एवं अन्य प्राकृतिक विपदाओं का कहर जारी है. इसके चलते एमएसएमई उद्योग परेशान हैं. बैंकों द्वारा 1 सितंबर से ब्याज एवं शासन द्वारा अन्य टैक्स की वसूली का आदेश निकाल दिया गया है ऐसी स्थिति में उद्योग फिर वही पुरानी मरणासन्न हालत में पहुंच जाएंगे. ऐसी स्थिति में वे मांग करते हैं कि एमएसएमई उद्योगों को 4 महीने, दिसंबर माह तक और मोनिटेरियम पीरियड बढ़ाया जाए.इस वर्ष को कोविड वर्ष घोषित करते हुए साथ ही 9 महीने के ब्याज को पूर्णरूपेण माफ किया जाए.
एमएसएमई उद्योगों के लिए कोविड-19 फंड से जिस राशि का वितरण किया जा रहा है वह अभी समाप्त नहीं हुआ है. नियम कानून इतने पेचिदे हैं कि बहुत लोगों को इसका लाभ नहीं मिला है. इसलिए फंड के बचे पैसों को वास्तव में जो एमएसएमई यूनिट हैं उन्हें 20% राशि का और ऋण सहायता दी जाए.
श्री झा ने बताया शासन द्वारा एनपीए हो चुके उद्योगों के लिए अलग से राशि दिए जाने की व्यवस्था की जा रही है जो संभवत: एमएसएमई उद्योगों के फंड से ही दिया जाएगा.ऐसी स्थिति में सहयता न मिलने से एमएसएमई उद्योगों की स्थिति और खराब होगी और अधिकांश उद्योग एनपीए की स्थिति में आ जाएंगे. श्री झा ने कहा कि एमएसएमई उद्योग देश की रीढ़ हैं. सर्वाधिक बेरोजगारों को यही रोजगार उपलब्ध कराते हैं. उन्होंने शासन को आगाह किया कि इस स्थिति को हल्के में न लें. उन्होेंने एमएसएमई उद्योगों की इस गंभीर स्थिति से प्रधानमंत्री, वित्त मंत्री एवं शासन के अधिकारियों को भी पत्र लिखकर अवगत कराया है.