कोरोना वायरस के प्रकोप ने पूरी दुनिया को बुरी तरह से अपनी चपेट में ले रखा है और लोगों को बड़ी बेसब्री से इस बीमारी के वैक्सीन का इंतजार है। दुनिया के सभी प्रमुख देशों की दवा कंपनियां वैक्सीन के निर्माण में युद्धस्तर पर जुटी हुई हैं और इनमें से कई तीसरी फेज के ट्रायल में भी पहुंच चुकी हैं। अभी तक सारे वैक्सीन ट्रायल फेज में ही हैं और आम आदमी इसके उपलब्ध होने का इंतजार कर रहा है। मीडिया में इसके उपलब्ध होने की संभावित महीने की खबरें आती रहती हैं। पहले अगस्त महीना बताया गया था। फिर सितंबर और अब दिसंबर बताया जा रहा है। वहीं कुछ रिपोटर््स में जनवरी तो कुछ में आगामी मई-जून का जिक्र है। ऐसे में यह वैक्सीन कब आएगी, इसका रहस्य गहराता जा रहा है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्द्धन ने गत रविवार को कहा था कि वैक्सीन अगले साल के शुरू में आ जाएगी। वहीं अमेरिकी वायरस विशेषज्ञ एंथनी फाउची ने कहा कि अगले साल के आखिर तक वायरस के साथ ही जिंदगी बितानी पड़ेगी। ऐसे में लोगों का कन्फ्यूज होना स्वाभाविक है। अब दुनिया की सबसे बड़ी वैक्सीन उत्पादक कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के सीईओ अदार पूनावाला ने कहा है कि २०२४ तक भी इतनी वैक्सीन तैयार नहीं हो पाएगी कि संसार के सभी लोगों को खुराक मिल जाए। दुनिया की आबादी इस समय करीब ७५० करोड़ है। उन्होंने हिंदुस्थान के सभी लोगों तक वैक्सीन पहुंचने को लेकर भी चिंता जताई है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, अदार पूनावाला का कहना है कि दवा कंपनियां अपनी उत्पादन क्षमता इतनी अधिक नहीं कर पाई हैं, जिससे कम समय में पूरी दुनिया को वैक्सीन दी जा सके।
कोरोना वायरस की वैक्सीन के अगले साल तक आने की पूरी उम्मीद है। मगर २०२४ तक दुनिया की पूरी आबादी को यह वैक्सीन नहीं मिल पाएगी। क्योंकि आबादी ज्यादा है और निर्माता कंपनियों की उतनी क्षमता नहीं है कि वे एक साथ इतनी वैक्सीन तैयार कर लें। इसलिए दुनिया की पूरी आबादी के लिए वैक्सीन उत्पादन करने में २०२४ से आगे तक का वक्त लग जाएगा। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया की सबसे बड़ी वैक्सीन उत्पादक कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के सीईओ अदार पूनावाला ने कहा है कि धरती पर मौजूद सभी लोगों को वैक्सीन देने में ४ से ५ साल का वक्त लगेगा।’ उन्होंने कहा कि अगर एक व्यक्ति के लिए कोरोना वैक्सीन की दो खुराक की जरूरत होती है तो पूरी दुनिया के लिए १५ अरब खुराक की जरूरत पड़ेगी।
अदार पूनावाला ने हिंदुस्थान के १.४ अरब लोगों तक वैक्सीन पहुंचाने को लेकर चिंता भी जताई क्योंकि यहां वैक्सीन के ट्रांसपोर्ट के लिए कोल्ड चेन सिस्टम नहीं है। बता दें कि वैक्सीन को तैयार होने के बाद प्रâीजर में रखना होता है और एक जगह से दूसरी जगह ले जाने के लिए कोल्ड चेन सिस्टम की जरूरत होती है। अदार पूनावाला ने कहा, ‘मैं अब भी ऐसी कोई ठोस योजना नहीं देख पा रहा हूं जिससे कि ४० करोड़ (हिंदुस्थान के) से अधिक लोगों को वैक्सीन मिल पाएगी। आप ऐसी कोई स्थिति नहीं चाहते कि आपके पास अपने देश के लिए वैक्सीन उत्पादन की क्षमता हो, लेकिन आप इसे कंज्यूम नहीं कर सकते।’ पुणे स्थित कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने कोरोना वैक्सीन के उत्पादन के लिए पांच अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के साथ समझौता किया है। इनमें एस्ट्रेजेनेका व नोवावैक्स जैसी कंपनियां शामिल हैं। सीरम इंस्टीट्यूट का लक्ष्य एक अरब वैक्सीन की खुराक का उत्पादन करना है, जिनमें से आधी वैक्सीन हिंदुस्थान को मिलेगी। अदार पूनावाला ने कहा कि वह वैक्सीन उत्पादन की क्षमता बढ़ाने के लिए सऊदी अरब के पब्लिक इंवेस्टमेंट फंड, अबु धाबी इंवेस्टमेंट होल्डिंग कंपनी और अमेरिकी प्राइवेट इक्विटी फर्म से ६०० मिलियन डॉलर जुटाने के लिए बातचीत कर रहे हैं।