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आपके सवाल गांधी भाई रोहरानंद के जवाब

ByMedia Session

Apr 21, 2022

यूक्रेन इस युद्ध में विजयी हो यह प्रार्थना हमें करनी चाहिए…

प्रश्न – राकेश शर्मा, अंबिकापुर छत्तीसगढ़

मोहनदास करमचंद गांधी यानि महात्मा गांधी में आखिर ऐसी कौन सी बात थी की उन्हें भारत देश की आजादी का अग्रणी “जननायक” कहा जाता है।

-महात्मा गांधी को देखने वाले उन्हें एक सामान्य व्यक्ति ही मानते थे। उनकी कद काठी सामान्य थी, वह साधारण से दिखते थे। कोई हष्ट पुष्ट व्यक्ति नहीं थे, ऐसे थे कि जैसे फूंक मारो तो उड़ जाए।
मगर इस साधारण से व्यक्ति में अद्भुत साहस विद्यमान था। सबसे बड़ी चीज थी कि वह सत्य के आग्रही थी। महात्मा गांधी पहले पहले तो एक साधारण शख्स गांधी ही थे जो सिर्फ एक बैरिस्टर थे।
भारत आने से पहले उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में अपने बूते जो काम किया था वह सारी दुनिया में फैल चुका था। यह काम था- दक्षिण अफ्रीका के गोरी सरकार को अपनी बात मनवाने का। वहां उन्होंने लगभग 20 वर्ष तक दक्षिण अफ्रीकी समाज में काम किया और सरकार के बनाए हुए अमाननीय काले कानूनों के खिलाफ लोगों को एकजुट करते हुए सत्य अहिंसा का पालन करते हुए सरकार को अपनी सत्याग्रह की ताकत दिखा करके उन्होंने अपनी मांगे मनवाने का काम सफलतापूर्वक किया था।

ऐसे में जब महात्मा गांधी भारत आ गए और कांग्रेस के अधिवेशन में भाग लिया तब अपने काम से उन्होंने अपने समय के बड़े नेताओं को सोचने पर विवश कर दिया। जिनमें प्रमुख रहे गोपाल कृष्ण गोखले लोक मान्य तिलक फिरोज शाह मेहता आदि । और धीरे-धीरे देश की राजनीति के केंद्र में आते चले गए। कॉन्ग्रेस महात्मा गांधी के आदेश को मानती थी क्योंकि सारा देश महात्मा गांधी को मानता था। धीरे-धीरे यह स्थितियां बनती चली गई कि वह एक संत महात्मा के साथ-साथ जननायक बन चुके थे और देश उनसे बहुत प्यार करता था‌ और आज भी करता है।

प्रश्न- शिवदास मानिकपुरी, बिलासपुर
संपादक जी,रूस और यूक्रेन का संघर्ष अपनी चरम स्थिति पर है आखिर रूस का शासक पुतिन चाहता क्या है। आखिर यह युद्ध कब और कैसे समाप्त होगा।

-यह अमेरिका रूस और चीन की प्रतिस्पर्धा का एक घिनौना रूप है। जो काम चीन, अमेरिका और अन्य महाशक्ति करना चाहती हैं वह रूस आज करके दिखा रहा है।
दुनिया में एक बार फिर ऐसी दुखद स्थितियां पैदा हो गई है जब साम्राज्यवाद की सोच दुनिया की महा शक्तियों में घुसपैठ कर रही है।
अगर रूस ने यूक्रेन पर कब्जा कर लिया तो आने वाले समय में दुनिया में ऐसी और भी बहुत सी घटनाएं हम देखने को मजबूर होंगे। इसलिए अच्छा यह होगा कि चाहे जो हो यूक्रेन इस युद्ध में विजयी हो। यह प्रार्थना हमें ईश्वर से करनी चाहिए। किसी भी हालत में रूस की विजय यूक्रेन पर नहीं होनी चाहिए।
आपको बताते चलें कि रूस में पुतिन की कोई लोकतांत्रिक सरकार नहीं है उन्होंने स्वयं को आजीवन राष्ट्रपति घोषित कर दिया है यही हालात चीन में बन चुके हैं। अब देश की महा शक्तियों इन देशों में लोकतंत्र का गला घोट दिया गया है और एक तरह से अधिनायकवाद चल रहा है। जैसा कि स्टालिन , हिटलर के समय हुआ करता था। दुनिया ने देखा था हालात अब कुछ ऐसे बन गए हैं कि रूस ने आनन-फानन में यूक्रेन पर हमला कर दिया। उस दरमियान अगर अमेरिका सजग रहता तो यह हमला रूक सकता था नाटो की हकीकत भी सामने आ गई। कुल जमा यह कहा जा सकता है कि रूस और यूक्रेन का युद्ध एक निर्णायक युद्ध एक तरफ है एक महाशक्ति और दूसरी तरफ है एक छोटा सा देश मानो एक तरफ कोई शैतान और दूसरी तरफ कोई भोला भाला बालक।

अब कुछ समय कुछ हमारी सद्भावना है कुछ ऊपर वाले की कृपा इस दुनिया को दिशा देगी। अगर यूक्रेन किसी भी हालत में इस चक्रव्यूह से बाहर आ जाता है तो यह दुनिया के लिए अच्छा होगा।

प्रश्न – सोनी गजभिए , गजरा बांकीमोंगरा, कोरबा

“मोहन से महात्मा” बनने वाले मोहनदास करमचंद गांधी की दुनिया भर में चर्चा में रहते हैं उनकी मुर्तियां बन गई जबकि आज भी अनेक लोग खूब आलोचना करते है।

-संसार में किस की निंदा आलोचना नहीं होती। कौन सा ऐसा देवी देवता है इसके बारे में लोग भला बुरा नहीं कहते। कौन है सा महान व्यक्ति है जिसकी सिर्फ प्रशंसा ही प्रशंसा हुई है।
सीधी सी बात है सिक्के के दोनों पहलू होते हैं अब हमारा अपना विवेक है कि हम नेगेटिव और पॉजिटिव में से अर्थात सकारात्मकता और नकारात्मकता में से किस का चयन करते हैं।
महात्मा गांधी का जीवन एक किताब की तरह खुला हुआ है। बस हमें उसे पढ़ना है। आत्म चिंतन करना है की क्या उनसे हमें कुछ सीखने को मिलता है या नहीं। आने वाली पीढ़ी के लिए उन्होंने क्या कुछ दिया है अथवा नहीं। इतना चिंतन करने के पश्चात हमारे सामने सब कुछ दूध और पानी की तरह साफ साफ होगा।

प्रश्न – सावित्री नायर, दुर्ग छत्तीसगढ़

  • संपादक जी,महात्मा गांधी ने देश को आजाद कराया है मगर अब कोई उनके उपदेश उनके सिद्धांतों को मानता हुआ दिखाई क्यों नहीं देता। आजाद देश की जैसी कल्पना महात्मा गांधी ने की थी आखिर दिखाई क्यों नहीं देता।

-महात्मा गांधी ने जो अदम्य जिजीविषा थी उनके मन मस्तिष्क में जो देश के प्रति एक सोच थी वह उनके साथी चली गई लगता है।
जैसा कि उन्होंने कहा था कि आजादी मिलने के बाद मैं स्वयं शराब की भठ्ठीओं को तोड़ दूंगा।

आजाद देश की कल्पना करते हुए बहुत कुछ कहा और लिखा है। आजादी मिलने के बाद चंद महीनों में ही उनकी हत्या हो गई निश्चित रूप से अगर महात्मा गांधी कुछ वर्ष और जीवित होते तो देश को दिशा मिल सकती थी। सबसे बड़ा सवाल है शराबबंदी का आजादी मिलने के बाद शराब दुकानों के बनाए रखने अथवा बंदीकरण पर राज्यों को अधिकार दे दिया गया था यह एक बड़ी भूल हुई।
सीधे केंद्र सरकार को इसके अधिकार लेकर के नियम कायदे बना देने चाहिए थे तब शायद देश भर में एक साथ शराबबंदी हो जाती। इसी तरह महात्मा गांधी ने जो कहा था कि अंतिम पंक्ति के व्यक्ति का कल्याण होना चाहिए यह हमारे देश के नियम कायदे में अभी भी है और दिखाने के लिए ही सही आज भी हमारी केंद्र सरकार कितने ही महीनों से लगातार गरीबों को मुफ्त अनाज दे रही है।
मगर हमारा मानना यह है कि जो ईमानदार कोशिश प्रयास होना चाहिए तो दिखाई नहीं देता।

प्रश्न – लतिका राज, जगदलपुर छत्तीसगढ़

-आज भी बहुत सारी संस्थाएं महात्मा गांधी के दर्शन का प्रसार कर रही है। आपको क्या लगता है महात्मा गांधी के सिद्धांत की प्रतिष्ठापना जमीनी स्तर पर संभव है।

-इसका जवाब हां में भी है और ना में भी।
दुनिया में ऐसी कोई चीज नहीं है जो संभव नहीं है और महात्मा गांधी के सिद्धांतों का प्रतिपादन की स्थापना की जा सकती है। जैसे मार्क्स के सिद्धांत फलीभूत होते हमने देखे हैं।
महात्मा गांधी के सिद्धांतों का भी प्रतिपादन करते हुए राष्ट को दिशा दी जा सकती है।

प्रश्न – रंजन मोहन, कटनी मध्य प्रदेश
संपादक जी, देश की आजादी के बाद उनके मानस पुत्र पंडित जवाहरलाल नेहरू देश के प्रथम प्रधानमंत्री बने मगर कहते हैं कि वे महात्मा गांधी के सिद्धांतों के अनुरूप देश को दिशा नहीं दे पाए कया यह सच है।
-ऐसा नहीं है रास्ते अलग-अलग होते हैं मगर मंजिलें एक होती है। पंडित नेहरू सच्चे अर्थों में में गांधी के अनुयाई थे उन्होंने देश को गांधी के रास्ते में आगे बढ़ाने का भरपूर प्रयास किया है। मगर हमारे देश की जनता और आम नेता महात्मा गांधी का नाम तो लेते हैं मगर वह झूठे और मक्कार हैं अपनी जेब भर रहे हैं और जाने कितनी पीढ़ियों के लिए अकूत धन इकट्ठा कर रहे हैं जो गांधीजी के रास्ते से बिल्कुल विपरीत है और खाई खोद रहा है।
इसके लिए महात्मा गांधी अथवा पंडित नेहरू जैसा भी नेतृत्व चाहिए।

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