
कहते हैं कि सुशासन के लिए देश में भाजपा शासित राज्यों की सरकारों का कोई मुकाबला नहीं है,लेकिन इस मिथक को या कहिये भाजपा के दावे को मध्यप्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार लगातार तोड़ती दिखाई दे रही है.मध्यप्रदेश में जहरीली शराब हर दो-तीन महीने में दर्जनों लोगों को मौत के घाट तक पहुंचा देती है .लेकिन सरकार पर महाकाल की कृपा है शायद इसीलिए भाजपा हाईकमान शिवराज सिंह चौहान को येदिरप्पा की तरह हटा नहीं पा रही है .
देश की राजधानी में चल रहीं दो-दो सांसदों के हंगामें में मध्यप्रदेश में जहरीली मौतों का मामला ज्यादा उछल नहीं पाया. जहरीली शराब से अभी मध्यप्रदेश में ज्यादा नहीं ,यही कोई तरह,चौदह लोग ही तो मरे हैं.जहरीली शराब का तांडव इस बार चंबल में नहीं बल्कि मालवा में है और एक जिले में नहीं अपितु अनेक जिलों में है .प्रदेश में कांग्रेस सरकार का तख्ता पलट कर दलबदलुओं के भरोसे बनी शिवराज सिंह सरकार के डेढ़ साल के कार्यकाल का ये तीसरा बड़ा हादसा है .
देश में सफाई के मामले में नंबर वन रहने वाले इंदौर के साथ ही खंडवा ,मंदसौर और खरगोन में जहरीली शराब पीने से किश्तों में अब तक 14 लोग मारे जा चुके हैं और अनेक अस्पतालों में भर्ती है .सरकार हर बार की तरह मामले की जांच के लिए एसआईटी का गठन करने का स्वांग कर चुकी है.सरकार कुछ करती दिखाई दे इसलिए कुछ ढाबों में जाकर पुलिस और आबकारी विभाग के बहादुर कर्मचारियों ने तोड़फोड़ कर डाली है ,लेकिन इससे नकली और जहरीली शराब का कारोबार करने वालों पर कोई असर नहीं पड़ा है और न पड़ने वाला है.
आपको याद होगा कि मध्य प्रदेश के चंबल इलाके में पिछले महीनों में जहरीली शराब का बड़ा हादसा हो चुका है.,तब कोई 26 लोग मरे गए थे उस समय भी इसी सरकार ने गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ राजेश राजौरा की अगुवाई में एक एसआईटी बनाई थी .उसकी रिपोर्ट भी आई थी लेकिन ये रपट आज भी धूल खा रही है .इससे पहले महाकाल की नगरी उज्जैन में जहरीली शराब से ऐसे ही हादसे हो चुके हैं ,लेकिन हर बार असली अपराधी न सिर्फ भाग निकलते हैं बल्कि हल्के से अंतराल के बाद दोबारा मैदान में आ जाते हैं .
मध्यप्रदेश में भाजपा की सरकार बीते 17 साल में भी पूर्ण शराबबंदी का साहस नहीं जुटा पायी है .भाजपा शाइस्त गुजरात में और भाजपा ,जेडीयू शासित बिहार में पूर्ण शराबबंदी है लेकिन मध्यप्रदेश समेत दूसरे 11 राज्यों में भाजपा शराब बंदी का फ़ैसला नहीं कर पा रही है.जब-जब ऐसे हादसे होते हैं सरकार जिले के आबकारी अधिकारी का तबादला कर अपनी जिम्मेदारी से मुक्त हो जाती है .
मध्यप्रदेश में आये दिन जहरीली शराब से होने वाली मौतों के दौरान मौतों की खबर अब सत्तारूढ़ दल की सरकार को परेशान नहीं करती.लोग मरते हैं,जरा सी हाय-तौबा होती है और फिर सब कुछ मामूल पर आ जाता है .सब भूल जाते हैं कि प्रदेश में अवैध शराब के कारोबारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई भी की जाना है या नहीं ? हकीकत ये है कि मध्यप्रदेश में अवैध शराब का एक दक्ष माफिया काम कर रहा है .आबकारी विभाग को इस बारे में पूरी सूचनाएँ हैं लेकिन आबकारी विभाग के आला अफसर इनके ऊपर हाथ नहीं डाल आ रहे हैं ,क्योंकि इस कारोबार का ज्यादातर कारोबारी सत्तारूढ़ के साथ है .
मध्य प्रदेश सरकार को मप्र में आबकारी राजस्व के रूप में हर साल 9 हजार 518 करोड़ से ज्यादा की आय होती है इसलिए कोई भी सरकार शराब कारोबार से हाथ नहीं खींचना चाहती .हकीकत ये है की मध्यप्रदेश का आबकारी विभाग अवैध शराब का कारोबार रोकने के अलावा सारे काम करता है .आपको जानकार हैरानी होगी कि मध्यप्रदेश सरकार की नयी आबकारी नीति में जो प्रस्ताव आये हैंउनमने घर-घर डिलीवरी के साथ ही 90 एमएल की पैकिंग बनाने की बात कही गयी है उनके मुताबिक डिलीवरी करने वाले को शराब की होम डिलीवरी का परमिट मिलेगा। विभाग का मानना है कि इस व्यवस्था से न सिर्फ खपत में वृद्धि होगी बल्कि वैध शराब की उपलब्धता सुनिश्चित होगी। अवैध शराब बिकने से रुकेगी और दुकानों पर भीड़ कम लगेगी। घर पर शराब की उपलब्धता होने से शराब पीकर वाहन चलाने से होने वाली दुर्घटनाओं में भी कमी आएगी।
अवैध शराब पीकर मरे लोगों की परवाह न करने वाली सरकार दरअसल इस तरह के हादसों का समाना करने की अभ्यस्त हो चुकी है. जब भी ऐसे हादसे होते हैं विपक्ष आबकारी मंत्री का इस्तीफा मांगता है जो कभी दिया नहीं जाता ,इस बार भी विपक्ष के नेता दिग्विजय सिंह ने आबकारी मंत्री के इस्तीफे की मान की है .मोटे तौर पर सत्ता पक्ष हो या विपक्ष कोई भी अवैध शराब कारोबार और उससे होने वाली मौतों के लिए मुख्यमंत्री को दोषी नहीं मानता ,इसलिए मध्यप्रदेश अवैध शराब का गढ़ बन गया है. यहां से गुजरात के अलावा अन्य सीमावर्ती राज्यों तक अवैध शराब की आपूर्ति की जाती है ,किन्तु मध्यप्रदेश सरकार आबकारी विभाग के रिक्त पद भरने या क़ानून में संशोधन करने की दिशा में कोई कदम उठाने के लिए तैयार नहीं है .
मध्यप्रदेश में जनवरी 2021 में नूराबाद थाना मुरैना में 26 लोगों की जान गई। अब स्वयं भाजपा सरकार के आबकारी मंत्री के मल्हारगढ़ निर्वाचन क्षेत्र पीपल्या मंडी थाना क्षेत्र जिला मंदसौर में 11 लोगों की मौत हुई है,जहरीली शराब से मौतों का ये सिलसिला कभी थमेगा या नहीं ,कोई नहीं बता सकता .
@ राकेश अचल