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ग्राम्य भारती महाविद्यालय में आयुर्वेदिक चिकित्सकों द्वारा किया गया प्रकृति परीक्षण

ByMedia Session

Dec 12, 2024

हरदीबाजार/ प्रकृति परीक्षण अभियान भारत सरकार के आयुष मंत्रालय और भारतीय चिकित्सा पद्धति राष्ट्रीय आयोग के संयुक्त तत्वावधान में आयुर्वेद और भारतीय चिकित्सा पद्धति को जन-जन तक पहुंचाने और नागरिकों को उनकी प्रकृति के अनुसार स्वास्थ्य की जानकारी प्रदान करने का एक अभिनव प्रयास है। इसी कड़ी में आमजन को उनकी अद्वितीय आयुर्वेदिक प्रकृति (मन-शरीर संरचना) को समझने के लिए सशक्त बनाने के उद्देश्य से शासकीय ग्राम्य भारती महाविद्यालय हरदीबाजार की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई के तत्वाधान में महाविद्यालय परिसर में जिला आयुष चिकित्सा अधिकारियों द्वारा महाविद्यालय के समस्त प्राध्यापकों, शैक्षिकेत्तर कर्मचारियों तथा महाविद्यालय में विभिन्न स्नातक एवं स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में अध्ययनरत विद्यार्थियों का प्रकृति परीक्षण किया गया। संस्था की प्राचार्य डॉ. शिखा शर्मा के संरक्षण एवं मार्गदर्शन तथा महाविद्यालय की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई के कार्यक्रम अधिकारी प्रो. अखिलेश पाण्डेय एवं श्रीमती अंजली के नेतृत्व में आयोजित इस कार्यक्रम में आयुष मंत्रालय के प्रकृति परीक्षण एप्लिकेशन में पंजीकरण के पश्चात्‌ सभी की प्रश्नोत्तरी के माध्यम से वात, पित्त अथवा कफ़ की प्रकृति की पहचान की गई। तत्पश्चात चिकित्सा अधिकारियों द्वारा व्यक्ति को उसकी प्रकृति के अनुसार खान – पान, व्यायाम आदि की जानकारी दी गई। कार्यक्रम में बतौर मुख्यातिथि उपस्थित संस्था की प्राचार्य डॉ. शर्मा ने कार्यक्रम की भूमिका रखते हुए कहा कि प्रकृति का स्वास्थ्य रक्षण में बहुत महत्व होता है, प्रकृति की जानकारी से हम सब खुद को स्वस्थ रखने के लिए दिनचर्या ,ऋतुचर्या के अनुरूप अपने नित्य कार्यों में छोटे-छोटे बदलाव लाकर स्वस्थ रह सकते हैं। कार्यक्रम में चिकित्सा अधिकारी के रूप में डॉ. गौरी शंकर साहू, डॉ. समीम अन्वर अली, डॉ. कीर्ति शुक्ला, डॉ. आलोक तिवारी, डॉ. डी.के. मुदली, डॉ. तृप्ति शुक्ला तथा डॉ. गणेश प्रभुवा उपस्थित रहे। कार्यक्रम को सफल बनाने में महाविद्यालय के वनस्पति विज्ञान की अतिथि व्याख्याता डॉ. रानू राठौर, वाणिज्य विभाग की अतिथि व्याख्याता श्रीमती अन्नू रमन एवं राष्ट्रीय सेवा योजना के मनीष कुमार, ईशू कुमार, प्रियांशु कुमार, रविशंकर, आयुष द्विवेदी, हिमांशु कंवर, सुमन सोंधिया, हिंगलेश्वरी कुमारी एवं अन्य स्वयंसेवकों की भूमिका सराहनीय रही।

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