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छत्तीसगढ़:- जून के दूसरे सप्ताह से शराब कारोबार यूपीआई से ऑनलाइन

ByMedia Session

May 18, 2024

रायपुर/ प्रदेश में अब शराब खरीदने के लिए चिल्हर का झंझट नहीं रहेगा। आबकारी विभाग शराब की बिक्री यूपीआई के जरिए आनलाइन करने जा रहा है। सबकुछ सामान्य रहा तो जून के दूसरे सप्ताह से शराब कैशलेस खरीदी जा सकेगी। पिछली सरकार के समय हुए तीन हजार करोड़ के शराब घोटाले के पीछे
नगद खरीदी ही रही है। इसके चलते एक बड़ा सिंडीकेट बना जिसने ओवर रेट पर शराब बेचकर करोड़ों के वारे न्यारे किए। आज इस सिंडीकेट के कई किंगपिन जेल में है। इस सिंडीकेट से छत्तीसगढ़ की छवि पर भी दाग लगा। और आबकारी विभाग को राजस्व की भी हानि उठानी पड़ी।
मिली जानकारी के अनुसार विभाग और कारोबार करने वाले मार्केटिंग कंपनी (सीजीएमएससीएल) ने इससे उबरने अब शराब की खरीदी बिक्री को आनलाइन करने की तैयारी पूरी कर ली है।

रोजाना प्रदेश में करीब 35 करोड़ की देशी विदेशी शराब पी जाती है। जो नगद में बेची जाती है। अब यह सब कुछ एसबीआई के जरिए यूपीआई से होगा। शराब निगम ने अपनी सभी छह सौ से अधिक दुकानों का अलग अलग यूपीआई अकाउंट बैंक में खोल दिया है । इसके क्यू आर कोड के जरिए शौकीन शराब लेकर पेमेंट आनलाइन कर सकेंगे। फिलहाल यह सिस्टम प्रीमियम दुकानों में पायलट प्रोजेक्ट के तहत शुरू किया जा रहा है उसके बाद सभी देशी, अंग्रेज़ी शराब दुकानों में भी शुरू किया जाएगा।

निगम के एमडी अभिषेक अग्रवाल ने बताया कि इससे ओवर रेटिंग और चिल्हर की समस्या भी नहीं रहेगी। दुकानों के कर्मी चिल्हर नहीं है कहकर राउंडफिगर में लेकर बड़ी राशि एकत्रित कर आपस में बांट नहीं सकेंगे । वहीं उपायुक्त आशीष श्रीवास्तव ने बताया कि यह सिस्टम रेवेन्यू लॉस रोकने में मदद करेगा। और विभाग अपने सालाना 11 हजार करोड़ के लक्ष्य को हासिल कर सकेगा।
अफसरों के मुताबिक इसके बाद भी यदि अधिक वसूली होती है तो खरीदार टोल फ्री नंबर 14405 पर कॉल कर शिकायत कर सकेंगे।

हर बोतल पर 10-20 रूपए ओवर रेट

पिछली सरकार के समय में करीब तीन वर्ष शराब का कारोबार ओवर रेटिंग पर ही हुआ। दुकानों में हर बोतल पर 10- 20 रूपए अतिरिक्त लिए जाते रहे। शराब की एक पेटी में 48 बोतल होते हैं। इस तर से हर पेटी पर 500-700 रूपए की वसूली होती रही। यह रकम सरकार के खाते में न जाकर सरकार संरक्षित सिंडीकेंट के जरिए बड़े बड़े राजनेताओं को जाती रही। दावा है कि अब यह सब नहीं हो पाएगा।

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