• Thu. Nov 21st, 2024

mediasession24.in

The Voice of People

रायपुर पहुंची कराते चैंपियन मना मंडलेकर ने कहा,घर और बाहर वालों से खूब लड़ी और बनी चैंपियन, अब वही देते हैं मिसाल

ByMedia Session

Mar 1, 2023

सेल्फ डिफेंस के लिए जागरूक होने के साथ आत्मविश्वास का होना जरूरी:-मना मंडलेकर

रायपुर / अनिल मल्हारे / रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय पहुंची इंटरनेशनल गोल्ड मेडलिस्ट कराते चैंपियन मना मंडलेकर ने फिजिकल एजुकेशन डिपार्टमेंट के स्टूडेंट्स को बताया कि खुद की रक्षा करने के लिए आपको अवेयर रहने के साथ ही अपने सेल्फ कांफिडेंस को मजबूत रखना होगा। मंगलवार को सुबह स्टूडेंट्स को ट्रेनिंग देते समय मना ने महसूस किया कि यहां कि लड़कियां सेल्फ डिफेंस को लेकर उतनी अवेयर नहीं है उनका कांफिडेंस भी कम है, लेकिन ट्रेनिंग के दौरान यह महसूस हुआ कि यदि इन्हें समय- समय पर ट्रेनिंग दी जाए तो वे खुद अपनी रक्षा कर सकती है। दो दिवसीय आत्मरक्षा प्रशिक्षण शिविर के दौरान उन्हें कलाई मोड़कर छुड़ाने का तरीका बताया कैसे बाल पकड़े हुए कमर को पकड़े हुए हैं उसको छुड़ाने के लिए कई तरीके बताए।

मध्यप्रदेश के हरदा जिले के
आलमपुर गांव की रहने वाली मना ने बताया कि जब वो 9वी मे पढ़ती थी तो
कराते सीखने के बाद एक लड़के की जमकर धुनाई की

बदलनी होगी समाज की सोच

खेल के माध्यम से कैसे हम समाज में समानता ला सकते हैं। इसके लिए हमने 2017 में तिनका समाजिक संस्था की शुरुआत की। इसके जरिए हम लड़कियों को आत्मरक्षा का प्रशिक्षण देते हैं।

पढ़ाई कर रही थी तो उसी समय घर वाले उसकी शादी करने वाले थे। मना अपनी पहचान बनाना चाहती थी, लेकिन गांव वाले और घर वालों को यह मंजूर नहीं था।

कराते के लिए अब तक 53 हजार 286 को ट्रेनिंग दे चुके हैं। हमारा सबसे ज्यादा फोकस गांव की लड़कियों को ट्रेंड करना है। अपने गांव की 192 स्कूल और 15 जिलों में संस्था काम कर रही है।

मना को बहुत संघर्ष करना पड़ा। तब कहीं जाकर उसे दूसरे गांव में पढ़ने की अनुमति मिली। स्कूल पूरा करने के बाद जब कॉलेज में आई तो कराते सीखने लगी।

मना ने बताया कराते और सेल्फ डिफेंस में अंतर

कराते एक गेम है जिसमें हर खिलाड़ी को चैंपियन बनना होता है। वहीं सेल्फ डिफेंस खुद को सेफ्टी के लिए होता है। हम कराटे के जरिए भी खुद की सुरक्षा कर सकते हैं। लेकिन बहुत कम लोगों को यह पता होता है। अब जब मैं अलग- अलग राज्यों में ट्रेनिंग दे रही हूं तो इसके बारे में उन्हें अवेयर कर रही हूँ। समय से ठान लिया था कि लड़कियों का आत्मविश्वास बढ़ाना है। अब वो प्रदेश के 192 गांव के स्कूल और 15 जिलों में काम कर रही है ।

2013 में कॉलेज में दाखिला लिया तो कराते से परिचय हुआ। रोजाना 15 किलोमीटर का सफर तय कर कॉलेज पहुंचना पड़ता था। इस दौरान कई बार छेड़छाड़ की घटनाएं भी हुई। एक साल बाद जब कराते सीख गई तो छेड़छाड़ करने वाले लड़के की जमकर धुनाई की। तभी से कॉन्फिडेंट लेवल बढ़ गया। इसके बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और इंटरनेशनल गोल्ड मेडलिस्ट कराते चैंपियनशिप का खिताब हासिल किया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *