

कोरबा/ बिलासपुर में रेलवे के साथ छत्तीसगढ़ के सांसदों की बैठक आज हंगामेदार बनी रही।विपक्षी कांग्रेस सांसद प्रतिनिधियों ने बैठक में रेलवे के रवैए को लेकर जमकर नाराजगी जताई। इधर 12 सांसदों व सदस्यों में केवल तीन सांसद ही बैठक में शामिल हुए। इस महत्वपूर्ण बैठक में ट्रेनों के स्टॉपेज, लेटलतीफी, रेल ब्रिज, स्टेशन, प्लेटफार्म सहित यात्री समस्याओं और सुविधाओं को लेकर प्रतिनिधियों ने जमकर सवाल जवाब किया ज्ञात रहे कि बिलासपुर रेल मंडल में आज सांसदों और रेलवे अधिकारियों की बैठक आयोजित की गई थी। बैठक में 12 सांसदों और सदस्यों में केवल तीन जांजगीर- चांपा, रायगढ़ और शहडोल के सांसद ही शामिल हुए। इसके अलावा अन्य सांसदों के प्रतिनिधि बैठक में सांसदों के मांगों और सुझावों के साथ पहुंचे। इस दौरान बैठक के शुरू होने के साथ ही कई सांसद प्रतिनिधियों ने रेलवे के रवैए के खिलाफ जमकर नाराजगी जताई। दरअसल,सांसदों के प्रस्ताव और सुझावों पर बिना चर्चा के ही रेलवे अधिकारियों ने टिप्पणी कर दी थी। इसे लेकर सांसद प्रतिनिधियों ने सवाल खड़े किया। कोरबा सांसद ज्योत्सना महंत के प्रतिनिधि के तौर पर शामिल हुए हरीश परसाई ने बताया कि, जनप्रतिनिधियों के प्रस्तावों को बिना रेलवे बोर्ड को भेजे रेल अधिकारी उसपर टिप्पणी कर रहे हैं और यात्रियों की मांगों और आवश्यकताओं को नजरंदाज कर रहे हैं। इसके साथ ही अन्य सांसदों और प्रतिनिधियों ने भी बैठक में मुख्य रूप से ट्रेनों के स्टॉपेज, ट्रेनों की लेटलतीफी, स्टेशन, प्लेटफार्म, रेल ब्रिज का विस्तार जैसे यात्री सुविधाओं और आवश्यकताओं को लेकर अपनी बात रखी। हालांकि, रेलवे के अधिकारी इन मांगों पर कोई ठोस जवाब नहीं दे सके। रेलवे अधिकारियों ने बताया कि, अधोसंरचना विकास और माल लदान के कारण ट्रेनों का परिचालन प्रभावित हो रहा है।अधोसंरचना विकास के साथ आने वाले दिनों में इस समस्या का समाधान भी हो जाएगा। बहरहाल, रेलवे और सांसदों की बैठक हंगामे, औचारिकता और रेलवे के रटे रटाए जवाब के साथ खत्म हो गई, यात्री समस्याओं और उसके निराकरण को लेकर कोई निष्कर्ष नहीं निकला।


