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छत्तीसगढ़ी व्यंग- कचरू के इंटरव्यू

ByMedia Session

Sep 12, 2020
  

छत्तीसगढ़ के पावन वनांचल भुइया मा एक झन कम पढ़े लिखे किसान ह एक बार अपन मेहनत और लगन से 51 किलो वजनी मखना के खेती करिस ओखर खेत म जेतका भी मखना के फसल होईस ते ह सब के सब 40 किलो 50 किलो के आसपास होईस वैसे क्षेत्र म मखना ह पांच 7 किलो ले ज्यादा नहीं होत रहीस फिर वोखर माटी मा का जादू रहीस के ओ हर एतका बड़े-बड़े मखना उपजाईस।
देखते देखत पूरा इलाका मा हल्ला पड़गे के कचरू के बारी म बड़े-बड़े मखना हे,कुछ समाचार पत्र में कचरू के किस्सा भी छप गे,जब ये बात के जानकारी इलाका के सब ले बड़े टीवी रिपोर्टर ल पता चलईस त वो हा सोचते के क्यों ना इसकी इंटरव्यू लिया जाए वह रिपोर्टर हा कचरु ल अपन स्टूडियो म बुलाईस फेर ओखर करा खेती आउ मखना के बारे म जानकारी लेहे लागिस, फेर कचरु घलो ह बड़ होशियार वो तो सोच के आये रहिस के वोला तो बस अपने ही बात ल करना है , फेर चालू होथे कचरु के पहली इंटरव्यू,,,,,,,
कचरू बोले के शुरू करथे आउ कथे कि रिपोर्टर साहब मोला एक बात नई समझ आए,के पांचवी अनुसूची क्षेत्र म खदान कैसे खुल जाथे ? कचरू के सवाल ल सुन के रिपोर्टर साहब कथे के भाई साहिब पांचवी अनुसूची क्षेत्र अऊ खदान के बात ल छोड़ अऊ मखना 51किलो कैसे म होईस तेला बता ? कचरू ह कथे के साहब मखना ह तो सेवा जतन बाड़ ही जाथे फेर विस्थापन अउ पुनर्वास के पीरा दरद ल संविधान ह महसूस करथे के राज्य सरकार या केंद्र सरकार ह? कचरू के सवाल ल सुन के रिपोर्टर साहब कथे के, कचरू भाई देश अऊ सरकार के बात ल छोड़ ह
अऊ मखना के खातु माटी के बारे म बता?
रिपोर्टर साहब के बात ल सुन के कचरू ह कथे खातु माटी के काहे साहेब ये तो सब जतन अउ किस्मत के बात आए फेर मोला एक बात तो बता कि सरकार और जम्मो आदमी कथे के तंबाकू सेवन हानिकारक है।ऐखर से कई प्रकार के बीमारी भी होथे कई बार तो बड़े-बड़े विज्ञापन भी बनथे लेकिन ओला बेचवाना कोई बंद नहीं करवाए,तंबाकू मिलना ही बंद हो जाही त वोला पाही कोन? सरकार के काम भी ना समझ से परे है अईसे कहीके कचरू चुप हो जाथे त रिपोर्टर साहब फेर कथे के तहु हर ना कमाल आदमी हस एक ठन मखना का उगा दारे तै हर तो दार्शनिक बन बैठे अऊ सीधा प्रसारण के सही उपयोग करत हस तै,फेर मोला ये तो बता के तोर खेत म पानी पलोए के का व्यवस्था हावे?
कचरू कथे के पानी के काहे साहेब खेत के तीर मा नरवा है टेढ़ा लगा के पलो लेथन फेर एक बात मोला नहीं समझ आए के पत्रकार मन ल भी तो शायद वेतन नहीं मिलय तभो ले फेर ओमन बड़े-बड़े गाड़ी में कहिसे घूमथे?
एतका पैसा ये मन ल कोन देथे?कचरू के बात ल सुन के रिपोर्टर कथे का कचरू भाई जेन रिपोर्टर मन तोला हीरो बनाईस तेही मन ल लपेट देहे, धन्य है तोर सोच अईसे कहीके रिपोर्टर साहब इंटरव्यू खतम करथे अऊ जिला प्रशासन ल अपील करथे के कचरू के नाम ल “जागरूक किशान” पुरूषकार बर राज्य सरकार के पास भेजा जाए।
घनश्याम (गुड्डा) श्रीवास
कोरबा(छ. ग)

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