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संत विनोबा जी

ByMedia Session

Sep 11, 2020

संत सुधारक थे महान,
भूदान यज्ञ विधाता थे।

ऐसे थे वह पुरुष महान,
उत्थान विदारक दाता थे ।

जन जीवन जब हुआ त्रस्त,
भूचाल धरा पर फैला था।

था गोरो का राज्य यहां,
तन उजला मन का मैला था।

बनकर उभरे बूटी ऐसी,
धरती के सफल सुजान थे।
ऐसे थे वे…

राह नई दिखलाकर जिसने,
लाखो का भाग्य जगाया था।

साधक थे वे भूमि के,
भूमि में प्राण समाया था।

एक नया वैराग्य जगा,
उज्वल भारत की शान थे।
ऐसे थे वे….

   कीर्ति शर्मा (प्रित)

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