कोरबा । छत्तीसगढ़ मे महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम के तहत गांव मे 150 के स्थान पर 200 दिन का रोजगार उपलब्ध कराने के लिए केन्द्र सरकार को प्रस्ताव भेजने की मंजूरी दे दी है। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता मे आज वीडियो कांफे्रंसिंग के माध्यम से छत्तीसगढ़ ग्रामीण रोजगार गारंटी परिषद की महत्वपूर्ण बैठक हुई। इस बैठक मे मुख्यमंत्री ने राज्य मे ग्रामीण क्षेत्रो के साथ-साथ शहरी इलाको मे भी मनरेगा का विस्तार करने, 150 की जगह 200 दिनो का रोजगार उपलब्ध कराने, मनरेगा मजदूरी बढ़ाने के साथ-साथ कृषि क्षेत्र को भी इस महत्वकांक्षी योजना से जोड़ने के लिए विस्तृत कार्ययोजना सहित प्रस्ताव केन्द्र सरकार को भेजने की सहमति दी। उन्होने इसके लिए कृषि, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के साथ-साथ वन विभाग को भी कार्ययोजना तैयार करने का जिम्मा सौंपा। इस महत्वपूर्ण बैठक मे श्री बघेल ने छत्तीसगढ़ राज्य मे महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम के तहत किए गए कार्यो की प्रगति की समीक्षा की। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आयोजित बैठक में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के कार्यों की विस्तृत समीक्षा की गई। मुख्यमंत्री निवास पर पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री श्री टी.एस. सिंहदेव उपस्थित थे। कृषि मंत्री श्री रविन्द्र चैबे, वनमंत्री श्री मोहम्मद अकबर, नगरीय प्रशासन मंत्री डॉ. शिव डहरिया, गृहमंत्री श्री ताम्रध्वज साहू, स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम, राजस्व मंत्री श्री जयसिंह अग्रवाल वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बैठक में शामिल हुए। बैठक में मुख्य सचिव श्री आर.पी. मण्डल, अपर मुख्य सचिव श्री अमिताभ जैन और श्री सुब्रत साहू, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के प्रमुख सचिव श्री गौरव द्विवेदी, खाद्य विभाग के सचिव डॉ कमलप्रीत सिंह, आदिमजाति कल्याण विभाग के सचिव श्री डी. डी. सिंह, मनरेगा आयुक्त श्री मोहम्मद अब्दुल कैसर हक शामिल हुए। विभिन्न जिलों से छत्तीसगढ़ ग्रामीण रोजगार गारंटी परिषद के सदस्य और अधिकारी इस बैठक में वीडिया कॉन्फ्रेंसिंग से जुड़े।
गौठानों में वर्मी टांकों और धान खरीदी केन्द्रांे में चबूतरों-शेड निर्माण को प्राथमिकता से मिलेगी स्वीकृति
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने गौठानों में गोबर से वर्मी कम्पोस्ट तैयार करने के लिए मनरेगा से वर्मी टांका निर्माण के कार्यो को प्राथमिकता के आधार पर स्वीकृति प्रदान करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि गौठान समितियों से वर्मी टांका निर्माण के लिए जितनी मांग आती है, उन्हें तत्काल स्वीकृति प्रदान की जाए। मुख्यमंत्री ने बैठक में कहा कि सभी धान खरीदी केन्द्रों में चबूतरों के निर्माण और चबूतरों पर शेड निर्माण के कार्यो को भी प्राथमिकता देते हुए शीघ्रता से पूर्ण किया जाए। उन्होंने कहा कि राज्य के हर धान संग्रहण केन्द्र में एक शेड का निर्माण अवश्य हो। बैठक में जानकारी दी गई कि प्रदेश में 4649 चबूतरों के निर्माण के लिए स्वीकृति दी गई है। जिनमें से 4630 चबूतरों का निर्माण हो चुका है। मुख्यमंत्री श्री बघेल ने इस वर्ष मनरेगा से राज्य में 5500 गौठानों के निर्माण की स्वीकृति देने के लिए आवश्यक निर्देश दिए। उन्होंने बताया कि राज्य में वर्तमान में लगभग 4500 गौठानों का निर्माण पूरा कर लिया गया है। ऐसे गौठानों में जहां स्व-सहायता समूह आर्थिक गतिविधियों में सक्रिय हैं, वहां आजीविका केन्द्र के निर्माण की स्वीकृति प्राथमिकता के आधार पर देने के निर्देश दिए।
कुंआ, नर्सरी, डबरी बनाने से ग्रामीणों को हुए लाभ का होगा सर्वे- मुख्यमंत्री ने बैठक में कहा कि मनरेगा के तहत नर्सरी, कुंआ और डबरी निर्माण तथा नहर लाईनिंग के कराये गए कार्यो से लोगों को मिलने वाले लाभ के बारे में सर्वे कराया जाना चाहिए। इसी तरह जिले की उपयोगी डायवर्सन सिंचाई योजनाओं की नहर लाईनिंग का कार्य पायलट प्रोजेक्ट के रूप में कराया जाए, जिससे क्षेत्र के किसानों को सिंचाई सुविधाओं का भरपूर लाभ मिल सके। श्री बघेल ने यह भी कहा कि जिन क्षेत्रों में पानी में हैवीमेटल्स, आरसेनिक, फ्लोराइड, आयरन की शिकायत है, वहां गांव वालों को सतही जल का उपयोग पेयजल के लिए करने हेतु जागरूक किया जाए। उन्होंने कहा कि खेतों में डबरी और कूपों का निर्माण कराया जाना चाहिए, जिससे पानी की रिचार्जिंग हो सके और जरूरत के समय फसलों की सिंचाई में इसका उपयोग किया जा सके। मुख्यमंत्री ने वन अधिकार पट्टे प्राप्त हितग्राहियों को जमीन पर फलदार वृक्ष लगाने, बड़े वृक्षांे के बीच हल्दी, अदरक, तीखूर जैसी फसलों के लिए प्रोत्साहित किया जाए। मनरेगा से भूमि विकास और जमीन को घेरने के कार्य कराए जाएं। कृषि विभाग के माध्यम से हितग्राहियों की जमीन पर ट्यूबवेल खनन कराकर क्रेडा के माध्यम से सोलर पंप स्थापित किए जाएं, जिससे फसलों के लिए सिंचाई की सुविधा मिल सके। उन्होंने कहा कि इस योजना के लिए वन विभाग को नोडल एजेंसी बनाया जाए।
छत्तीसगढ़ में इस वर्ष मनरेगा में 15 करोड़ मानव दिवस रोजगार सृजन का लक्ष्य- बैठक में जानकारी दी गई कि 100 दिन का रोजगार देने में छत्तीसगढ़ का देश में तीसरा स्थान है। केन्द्र सरकार ने छत्तीसगढ़ सरकार के प्रस्ताव पर 15 करोड़ मानव दिवस रोजगार सृजन के लक्ष्य को मंजूरी दी है। प्रदेश में इस वर्ष अब तक 84 हजार 455 परिवारों को 100 दिनों का रोजगार दिया गया। मनरेगा में इस वर्ष रिकार्ड 26 लाख 5 हजार परिवारों को रोजगार दिया गया। प्रदेश में मनरेगा के तहत 39 लाख 79 हजार जॉब कार्ड धारी हैं। इस वर्ष छत्तीसगढ़ लौटे प्रवासी मजदूरों के क्वारेंटाइन के दौरान लगभग 2 लाख 37 हजार नए जॉब कार्ड बनाए गए। इस वर्ष 13 करोड़ 50 लाख मानव दिवस रोजगार के लक्ष्य के विरूद्ध अब तक 9 करोड़ 52 लाख मानव दिवस का रोजगार सृजित किया गया। इसमें महिलाओं की 50 प्रतिशत की सक्रिय भागीदारी रही। मनरेगा के तहत 2155 करोड़ रूपए की मजदूरी का भुगतान किया गया है। मनरेगा के कार्यो में दिव्यांगों की भागीदारी बढ़ी है। नरवा विकास योजना में चिन्हांकित 1406 नरवा में 66 हजार से अधिक भू-जल संवर्धन संबंधी संरचनाओं का निर्माण प्रगति पर है। श्री बघेल ने कहा कि ऐसे नाले जिनका एक हिस्सा वन क्षेत्र से गुजरता है, उसका सम्पूर्ण डीपीआर वन विभाग द्वारा तैयार किया जाए।
मनरेगा से छत्तीसगढ़ की देश मे बनी नयी पहचान- महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के सफल क्रियान्वयन ने छत्तीसगढ़ को देश मे नयी पहचान दी है। बैठक मे पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के प्रमुख सचिव श्री गौरव द्विवेदी ने बताया कि वर्ष 2017 में मनरेगा के तहत निर्मित परिसम्पत्तियों की जियोटेगिंग में छत्तीसगढ़ देश में पहले स्थान पर है। इसी तरह वन अधिकार पत्र प्राप्त हितग्राहियों को लाभान्वित करने और ग्राम पंचायतों के विकास के लिए जीआईएस केन्द्रित योजना तैयार करने में छत्तीसगढ़ देश मंे प्रथम स्थान पर है। प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन और कृषि तथा उससे जुड़े कार्यो में मनरेगा योजना से खर्च के मामले में छत्तीसगढ़ देश में तीसरे स्थान पर है। मनरेगा से 706 नये ग्राम पंचायत भवन और 672 आंगनबाड़ी केन्द्रों को मंजूरी दी गई है।
खेती-किसानी से मनरेगा को जोड़े तो आ सकते हैं अव्वल- राजस्व मंत्री श्री अग्रवाल
कोरबा जिला पंचायत के स्वांन कक्ष से वीडियो कांफ्रेंसिंग से ग्रामीण रोजगार गारंटी परिषद की बैठक में शामिल हुए राजस्व मंत्री श्री अग्रवाल ने मनरेगा को खेती-किसानी के कामों से जोड़ने के मुख्यमंत्री के सुझाव का समर्थन किया। उन्होने कहा कि मनरेगा के क्रियान्वयन मे छत्तीसगढ़ अभी पूरे देश मे तीसरे स्थान पर है। यदि मनरेगा मे खेत तैयार करने के साथ ही खेती-किसानी के बुआई, निंदाई, रोपाई, कटाई जैसे कामों को भी शामिल कर लिया जाए तो छत्तीसगढ़ प्रदेश मे पहले स्थान पर आ सकता है। राजस्व मंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ मे संचालित नरवा-गरवा-घुरवा बाड़ी कार्यक्रम के तहत भी मनरेगा से बहुत से काम स्वीकृत करने पर रोजगार के मानव दिवस बढ़े हैं। धान खरीदी केन्द्रो मे चबुतरों के साथ-साथ शेड बनाने से बेमौसम बरसात से धान को भीगने से बचाया जा सकता है। श्री अग्रवाल ने मनरेगा के सफल क्रियान्वयन के लिए ग्रामीण स्तर पर सभी विभागो को समन्वय बढ़ाकर काम करने की जरूरत पर जोर दिया।