मैं माँ हूँ
तेरी प्रथम गुरु
मैं तुझे पढाउँगीं
जीवन के वो पाठ
जो तुझे रखेगें सज
कराएगें क्षण प्रतिक्षण
सत्य और असत्य की पह्चान
तभी तू बनेगा अच्छा इंसान
चल आज से ही करते हैं
शुभारम्भ!!!!!!!
देवता भी तो कहते हैं न
शुभस्य शीघ्रम!!!!!!
तो तू पढ लिख प्रतिदिन
यही है अब तेरे लिए उत्तम
पुत्र तू पढ़ना उतना ही बस
जितना तू कर सके आत्मसात
पह्चान कर सके गुणों और दोषों की
शनै: शनै: तुझे वयस्क होते जाना है
प्राप्त करते जाना है ज्ञान सिर्फ ज्ञान
तुझे बनना है धरा का एक महान शिक्षक
और छुना है तुझको भी एक नया आसमान
तो तू आज से ही ले ले ये प्रण
तुझे देनी है पीढ़ियों को प्रेरणा
जैसे मैंने देखा था एक स्वप्न
तू भी अपनी आँखों में
एक नया स्वप्न बुन
-प्रदीप देवीशरण भट्ट-
हैदराबाद