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बरसाती मौसम में चर्म रोग को आयुर्वेदिक पद्धति से रोके अत्याधिक मिर्च मसालेदार खाने के सेवन से करें परहेज़ गौ घृत का उपयोग इन दिनों है लाभकारी शरीर को सुखाकर साफ सुथरे कपड़े पहने

ByMedia Session

Aug 30, 2020


रायपुर । बरसात अपने साथ जीतनी खुशहाली लाती है उतनी ही त्वचा से संबधिंत समस्या भी साथ लेकर आती है । इस मौसम में शरीर में नमी, उमस और पसीने के कारण त्वचा नीरस हो जाती है। जिससे कई प्रकार के त्वचा रोग भी हो जाते है । किन्तु खान-पान का ध्यान रखने से त्वचा स्वस्थ रहती है। बिना चिकित्सक की सलाह के किसी भी दवाइयों या क्रीम के प्रयोग से बचना चाहिए ।
शासकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय रायपुर के पंचकर्म विभागाध्यक्ष के डॉ.रंजीप दास कहते है बरसात में त्वचा रोग का मुख्य कारण नमी, अनियमित आहार, शरीर की नियमित सफाई न रखना, कब्ज या अन्य एलर्जिक कारण हैं। बदले हुए मौसम में नमी बढ़ने से हवा में चर्म रोग पैदा करने वाले जीवाणुओं की संख्या बढ़ रही है। ये जीवाणु धूल, मिट्टी और बारिश के साथ मिलकर लोगों के शरीर को नुकसान पहुँचाते हैं।
बारिश में अत्याधिक खतरा चर्म रोग होने का रहता है। बरसात की वजह से व्यक्ति के शरीर में खुजली हो जाती है या शरीर पर छोटे-छोटे दाने भी निकल आते हैं ।जिससे फंगस संक्रमण हो जाता है। ऐसे में व्यक्ति स्वंय उपचार ना करें तुरंत किसी विशेषज्ञ को दिखाए, स्वंय से किया गया उपचार नुकसानदायक सिद्ध हो सकता है ।
त्वचा रोग का कारण
बरसात में बिना कारण भीगना,गंदे तौलिया का इस्तेमाल,असंतुलित आहार, पत्तेदार सब्जियों, उड़द की दाल और तली-भुनी चीजों के प्रयोग से, सिंथेटिक कपड़े पहनने से भी त्वचा रोग या चर्म रोग हो सकता है ।
प्रमुख लक्षण
प्रभावित स्थान से सफेद पाउडर जैसा पदार्थ निकलना,पपड़ी पड़ना और खाल का उतरना, त्वचा पर लाल या बैंगनी रंग के चकत्ते हो जाना। प्रभावित हिस्से में तकलीफ होना, बारिश में गीले या पानी में ज़्यादा देर रहने पर, भीगने के बाद गीले कपड़े पहने रहने से , खुजली वाले दाने चर्म रोग का का रुप ले सकते हैं।
बचाव और आयुर्वेदिक उपचार
किसी व्यक्ति या बच्चे को इस तरह की बीमारी होती है तो उसे नीम के पत्ते के उबले हुए पानी से नहलाएं। दूध में रोजाना आधा चम्मच हल्दी मिलाकर पीएं । कोशिश करें बच्चों को बारिश में नहाने से रोकें। तौलिया को नियमित रुप से धोंए, शरीर की साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें, खाने में संतुलित आहार और मौसमी फल लें, चिकित्सक की सलाह के बिना कोई भी दवा न लें । पत्तेदार सब्जियों, उड़द की दाल और तली-भुनी चीजों का सेवन ना करें।
डॉ.दास ने बताया दही और अम्लीय पदार्थों के साथ-साथ अधिक मिर्च मसाले के खाने के सेवन से भी बचें दही कफ को बढ़ाता है गौ घृत का उपयोग करें हरिद्रा खंड दिन में दो बार एक एक चम्मच गर्म पानी से लें कच्चा हल्दी और नीम की पत्ती चबाएं त्वचा को शुष्क रखें शरीर में नमी वाली जगह पर पाउडर का इस्तेमाल चिकित्सक की सलाह से करें।
नियमित स्नान करें, 2-3 गिलास गुनगुना पानी पीएं। खाने में सलाद लें, सिंथेटिक कपड़े न पहनें। नहाने के बाद शरीर को सुखाकर साफ सुथरे कपड़े पहने, पसीना ज्यादा आए तो उसे बार-बार पोंछें । फलों में खासतौर पर, सेब, नाशपाति, अन्नानास और सूखे मेवों का इस्तेमाल करना चाहिए ।
डॉ.दास ने कहा बारिश के पानी में सीवरेज का पानी भी मिल जाता है और इससे लीवर और किडनी को प्रभावित करने वाली लेप्टोस्पायरोसिस ( Leptospirosis ) जैसी गंभीर समस्या हो सकती है इससे बचने के लियें साफ पानी या पानी को उबालकर प्रयोग करें ।रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने के लिए व्यक्ति को रोजाना पांच-छह बादाम, एक-दो अखरोट, सात से दस किशमिश दाने और तीन-चार खजूर खाने चाहिये

डॉ.दास कहते है बारिश के समय घर से निकलने से पहले शरीर के खुले हिस्से जैसे पैरों में हाथों में चेहरे पर नारियल या सरसों का तेल लगाने से, और नाखूनों को समय समय पर काटने से भी बरसात में होने वाले चर्म रोगों से बचा जा सकता है ।

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