पानी परान सबो जीव के , दुनिया के आधार ।
ए पानी ह जिनगी बचावै , लेथे जान ल मार ।।
बरसात म हे बरसै पानी , सूपा जैसन धार ,
चारो मुड़ा म पानी-पानी , डोली- टिकरा-खार ।
तरिया-डबरी-बवली उछलै , नदिया- नरवा- नार ।।
ए पानी ह जिनगी बचावै , लेथे जान ल मार ।।१।।
झड़ी अबड़ कर देथे पानी , सरलग दिन दू-चार ,
बरसै बादर चमकै बिजली , दसो दिसा अँधियार ।
बुता-काम सब अटकै भाई , मिलैं नहीं बनिहार ।।
ए पानी ह जिनगी बचावै , लेथे जान ल मार ।।२।।
झक्खर करे बढ़े करलाई , धसकथे घर – दुवार ,
पक्का बिल्डिंग ह नी बाँचै , माचय हाहाकार ।
नदिया-नरवा म चलय पूरा , पानी के भरमार ।।
ए पानी ह जिनगी बचावै , लेथे जान ल मार ।।३।।
बैला – गरवा बोहा जावैं , भैंसा धारे – धार ,
काखर दाई – ददा – सुवारी , बेटा अबड़ दुलार ।
सियान-डोकरी-छोकरी के , करै नहीं चिन्हार ।।
ए पानी ह जिनगी बचावै , लेथे जान ल मार ।।४।।
बस-टरक पूरा म बोहावै , फटफटी संग कार ,
रेल-पटरी- पुलिया उखाड़ै , पेड़ – पौधा अपार ।
सड़क म डोंगा खेवत हावैं , सलखात डोंगहार ।।
ए पानी ह जिनगी बचावै , लेथे जान ल मार ।।५।।
सरै – बूड़ै फसल जतके हे , पानी के बड़ मार ,
परलय लानै पानी बयरी , सबके करै उजार ।
एखर महिमा ‘ठाकुर’ भारी , लीला अपरम पार ।।
ए पानी ह जिनगी बचावै , लेथे जान ल मार ।।६।।
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स्थान-सारंगढ़–जगतसिंह ठाकुर ‘बंजारीवाले’
दि.२९.०८.२० { पूर्व प्रधान पाठक }
९४०६०५७७६३ शास.प्राथ.विद्या.रेंजरपारा
६२६६५२४२६१ सारंगढ़ , रायगढ़ { छग }