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छग विस का सफल मानसून सत्र दृढ़ इच्छाशक्ति का परिचायक बना

ByMedia Session

Aug 30, 2020


▪️अनुपूरक बजट के अलावा महत्वपूर्ण प्रस्तावों को भी पारित कर पेश किया उदाहरण
▪️कोविड 19 के चुनौतियों को छग की विधायिका ने स्वीकारा
▪️स्पीकर डॉ. महंत के प्रयासों को पक्ष-विपक्ष ने सराहा

रायपुर वैश्विक महामारी कोविड-19 कोरोना का संक्रमण जब पूरे विश्व और देश-प्रदेश में संपूर्ण रूप से अपना प्रभाव दिखा रहा है, तब संवैधानिक प्रावधानों के अनुरूप विधायिका के लिए भी मानसून सत्र आहूत कर महत्वपूर्ण विषयों को पटल पर रखना और पारित कराना कम चुनौतीपूर्ण नहीं था। छत्तीसगढ़ की विधायिका ने कोविड-19 की चुनौतियों को स्वीकार कर अपने अहम दायित्व का निर्वहन प्रदेश की जनता के हितार्थ पूरी दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ सफलतम पूर्ण किया। विपक्ष भी पूर्ण सकारात्मक सोच के साथ सत्तापक्ष के साथ खड़ा नजर आया और उसने भी इसकी सराहना की। इस तरह दूसरे राज्यों के समक्ष एक उदाहरण पेश हुआ है।
भारत के संविधान के अनुच्छेद 176 के खण्ड (1) के अनुसार सत्र की अंतिम और आगामी सत्र की प्रथम बैठक के लिए निर्धारित तिथि के मध्य छह माह का अंतर नहीं होना चाहिए। कोरोना के कारण मध्यप्रदेश विधानसभा का सत्र निरस्त करना पड़ा, बिहार, राजस्थान, उत्तरप्रदेश के विधानसभा सत्र भी सुविधा और व्यवस्था अनुसार संपन्न कराए गए।
छत्तीसगढ़ प्रदेश भी कोरोना महामारी से जूझ रहा है जिससे निपटने के लिए कार्यपालिका डटकर मुकाबला कर रही है, तब छत्तीसगढ़ की विधायिका भी अपने दायित्व निर्वहन में अडिग रही। छत्तीसगढ़ सरकार ने मानसून सत्र आहूत करने का प्रस्ताव प्रस्तुत किया जिसे महामहिम राज्यपाल ने मंजूरी प्रदान की। इसके बाद बड़ी चुनौती रही कि कोरोना से बचाव के सभी उपाय किस तरह पूरे किए जाएं? विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत ने विधानसभा हाउस में बैठक की व्यवस्था, विधानसभा सदस्यों का स्वास्थ्य परीक्षण नियमित रूप से सेनेटाइज करने, मास्क, फेस शील्ट तथा सेनेटाइजर की व्यवस्था का स्वयं अवलोकन किया। साथ ही कोविड टेस्ट की भी व्यवस्था सुनिश्चित की गई। सत्र के दौरान कम से कम लोगों की उपस्थिति को भी तरजीह दी गई। मंत्री एवं विधायकों ने अपने लोगों को सत्र में शामिल कराने नहीं लाने के आग्रह का पालन किया तो सत्र के दौरान पुलिस की भारी भरकम उपस्थिति को भी नगण्य किया गया। दिवंगत नेताओं को श्रद्धासुमन अर्पित करने के पश्चात प्रारंभ हुए 4 दिवसीय मानसून सत्र के किसी भी दिन विपरीत हालात की आड़ लेकर दायित्व निर्वहन में बाधा उत्पन्न नहीं होने दी गई। अनुपूरक बजट सहित अशासकीय विद्यालय फीस विनियामक अधिनियम, बिलासपुर में एयरस्ट्रीप हेतु अशासकीय संकल्प पारित किया गया। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ी राजभाषा को संविधान के अनुच्छेद 344 (1) और अनुच्छेद 351 से सहपठित आठवें अनुसूची में सम्मिलित करने का संकल्प रखा जो सर्वसम्मति से स्वीकृत होना अहम उपलब्धि रही। विभिन्न विभागों के निर्माण, विकास सहित जनहितकारी योजनाओं के प्रस्तावों पर चर्चा हुई और इन्हें भी पारित किया गया। 4 दिनों के सत्र में करीब 24 घंटे 30 मिनट चर्चा में पक्ष और विपक्ष शामिल हुए। 304 तारांकित एवं 275 अतारांकित प्रश्नों की सूचनाएं प्राप्त हुईं। वित्तीय कार्यों के अंतर्गत प्रथम अनुपूरक अनुमान पर 3 घंटे 33 मिनट चर्चा हुई।
छत्तीसगढ़ विधानसभा के अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत ने कोरोना काल में मानसून सत्र सफलतापूर्वक संपन्न होने को विधायिका की दृढ़ इच्छाशक्ति का परिचायक और विधानसभा में की गई व्यवस्थाओं को अन्य राज्यों के लिए अनुकरणीय बताया। सत्ता पक्ष को यह ज्ञात होता है कि विपक्ष आलोचना से नहीं चूकता किन्तु इसकी परवाह किए बगैर विपक्ष के सभी सुझावों को स्वीकार किया। सही मायने में विपक्ष वह है जो आलोचना के साथ-साथ सकारात्मक सोच और कार्यों को भी प्रोत्साहित करता है और इस मामले में विपक्ष ने भी अपनी भूमिका निभाकर संतुलन की स्थिति बनाए रखी। डॉ. महंत ने प्रिंट एवं इलेक्ट्रानिक मीडिया के प्रति भी अपना आभार व्यक्त किया जिन्होंने विषम परिस्थितियों के बावजूद गंभीरता से प्रदेश की जनता को सभा में संपादित कार्यों से अवगत कराया। साथ ही मानसून सत्र के सफल संचालन से जुड़े सभी अधिकारियों एवं कर्मचारियों को धन्यवाद ज्ञापित किया।

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