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छत्तीसगढ़:- सास बहू के खिलाफ आमरण अनशन पर बैठी, जानिए क्या है वजह?

ByMedia Session

Oct 3, 2024

गरियाबंद/ छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में गांधी जयंती के दिन सास छोटे बेटे के साथ बहू के खिलाफ अनशन पर बैठ गई। फिंगेश्वर की रहने वाली कमला ठाकुर (68) राजिम SDM के दफ्तर के आगे आमरण अनशन पर बैठ गई। सास ने कहा कि बहू ने घर पर कब्जा कर हमे बेघर कर दिया है। एसडीएम कोर्ट के निर्देश के बावजूद प्रशासन हमे हमारा घर वापस नहीं दिला पा रही है। पीड़िता ने अपनी तकलीफ का जिक्र कर बकायदा इस प्रदर्शन के लिए राजिम एसडीएम विशाल महाराणा को 1 अक्टूबर को पत्र दे दिया था। सुबह 10 बजे से बिना खाए पिए कमला अपने बेटे के साथ बैठी है। दो बार मेडिकल चेकअप भी कराया गया। डॉक्टर ने बुजुर्ग को बीमार बताया है।

शाम 8 बजे तक पुलिस और राजस्व अमला मौके पर मौजूद थे, लेकिन अब पीड़ित को उनके हाल पर छोड़ दिया है। पीड़िता ने बताया की पिछले 7 माह से वो दर दर भटक रही है। रिश्तेदारों के घर रही है। हक के लिए वैधानिक प्रक्रिया का सहारा भी लिया है। फैसला कमला बाई के हक में आया हैं। अब पीड़िता ने ठान लिया है की उसे हक दिलाया जाए या फिर वो इसी तरह एसडीएम दफ्तर के आगे खुले आसमान के नीचे बैठे रहेगी। पीड़िता ने यह भी कहा कि वह भागते-भागते थक चुकी है, या तो अब अपने घर लौटेगी या सीधे प्राण त्याग देगी। पीड़िता ने दस्तावेज दिखाते हुए बताया कि उसके बड़े बेटे दिवंगत रवि सिंह का विवाह 2011 में हुआ था, 2017 में बहू मीना घर छोड़ कर चली गई थी।

तलाक की प्रक्रिया 2017 में जारी थी। इसी साल बेटे रवि की मौत सड़क दुर्घटना में हो गई। अपने मायके में रह रही मीना सिंह 13 मार्च 2024 को फिंगेशर आकर मकान के दूसरे हिस्से में चैनल गेट को कटर से काट कर गैर कानूनी ढंग से घर में प्रवेश किया। दोनों पक्षों में विवाद होता रहा। कमला बाई ने मामले की रिपोर्ट भी दर्ज कराई थी। कमला बाई ने बताया कि विवाद के बाद कमला को बहू ने घर से बेदखल किया। तब से लेकर आज तक वह बाहर परिजनों के घर दर दर भटकते रही। मामले को लेकर कमला ने राजस्व न्यालय में वाद प्रस्तुत किया। मकान से कब्जा हटाने सुनवाई हुई। तत्कालीन एसडीएम अर्पिता पाठक ने 14 जून को मीना सिंह को बेदखल करने का आदेश भी सुनाया। लेकिन इस आदेश का अब तक पालन नहीं हुआ। पीड़िता ने बताया की न्याय की गुहार लेकर वो कलेक्टर तक पहुंची। 24 सितंबर को एसडीएम विशाल महाराणा ने दोबारा आदेश पालन करने फिंगेश्वर तहसील को पत्र लिखा,लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।

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