बेटी मां के गोद में
चेहरों पर दोनों के खिलखिलाहट हैं
हाथ में गुल्लक है छोटी सी
और आसमां छू लेने की चाहत है ।
तहज़ीब की आंचल है माथे पर
आखों में करुणा की पानी है
नई ख़्वाब है मन में बच्ची की
भले कपड़े उनकी पुरानी है।
अब कोन भटके मन्दिर मस्जिद
बस मां कि ही करती इबादत है।
हाथ में गुल्लक है छोटा सा
और आसमां छू लेने की चाहत है।
जीवन वर्मा
परसाबाद (कोडरमा)
झारखंड।