भारत मॉं की धानी चूनर ,
शान से लहरायेंगी ।
हर नगर और हर प्रांत में,
जब हिंदी बोली जायेगी ।
‘ क ‘ वर्ग के कुमकुम से ,
सजा हिंदी का भाल है ।
‘ च ‘ वर्ग से चमचम करता ,
शीश पर मुकुट विशाल है ।
इन व्यंजनों की माला हिंदी,
हर कंठ में सज जायेगी ।
हर नगर और हर प्रांत में,
जब हिंदी बोली जायेगी ।
‘ प ‘वर्ग में प्यार पगा है ,
‘ त ‘वर्ग में तिरता सद्भाव ।
‘ ट’ वर्ग में विश्वास का टाँका ,
सम्रद्ध व्याकरण का है भाव ।
अभिव्यक्ति का साधन हिंदी,
एकता का अलख जगायेंगीं ।
हर नगर और हर प्रांत में,
जब हिंदी बोली जायेगी ।
य,र ,ल,व,श से पूर्ण ,
होती हिंदी की वर्णमाला ।
स, ष ,ह और क्ष ,त्र,ज्ञ से
होती सशक्त ज्यूँ भारत की बाला ।
कहे “निर्भीक “ ले स्वरों का संबल,
हिंदी बढ़ती ही जायेगी ।
हर नगर और हर प्रांत में,
जब हिंदी बोली जायेगी ।
डॉक्टर मंजुला साहू “निर्भीक “
सी एस ई बी चिकित्सालय
कोरबा पश्चिम ।