
कोरबा 16 अक्टूबर। छत्तीसगढ़ विधानसभा के पूर्व उपाध्यक्ष, भाजपा के वरिष्ठ नेता स्वर्गीय बनवारीलाल अग्रवाल का बीती रात दिनांक 15 अक्टूबर बुधवार को निधन हो गया। वे 78 वर्ष के थे। आज गुरुवार 16 अक्टूबर को अपराह्न 3 बजे उनकी अंतिम यात्रा निवास स्थान दुरपा रोड कोरबा से मोतीसागर पारा मुक्तिधाम कोरबा जाएगी।

वे अपने पीछे पत्नी सहित महावीर प्रसाद अग्रवाल {भाई}, दिव्यानंद अग्रवाल, परमानंद अग्रवाल और हितानंद अग्रवाल {भतीजा} और भरा पूरा परिवार छोड़ गए हैं।
स्व. बनवारीलाल अग्रवाल पिछले लंबे समय से अस्वस्थ थे। उनका चिकित्सालय में उपचार चल रहा था। स्व. बनवारीलाल अग्रवाल के निधन की खबर मिलते ही शहर में सर्वत्र शोक की लहर फैल गई।
उनका जन्म 01 मई 1947 को ग्राम जपेली (कोरबा) जिला बिलासपुर मध्य प्रदेश (अब छत्तीसगढ़ ) में हुआ था। वे तीन भाइयों में दूसरे क्रम में थे।
पेशा से अधिवक्ता स्वर्गीय बनवारीलाल अग्रवाल ने पहली बार 1993 का विधानसभा चुनाव लड़ा और कांग्रेस के कृष्णालाल जायसवाल को 7,414 मतों के अंतर से हराया। इसके बाद, 1998 के विधानसभा चुनाव में भी वह कटघोरा निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस के जयसिंह अग्रवाल को 10 हजार से अधिक मतों से हराकर पुनः विधायक निर्वाचित हुए। वे छत्तीसगढ़ के प्रथम विधानसभा में उपाध्यक्ष रहे, लेकिन राजनीतिक प्रतिद्वंदता में कांग्रेस के तत्कालीन मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने उन्हें पद से हटा दिया और सत्तारूढ़ दल से ही विधानसभा उपाध्यक्ष चयन की नई परम्परा शुरू कर दी थी। जबकि इससे पहले तक अविभाजित मध्यप्रदेश में उपाध्यक्ष का पद विपक्ष को देने की स्वस्थ परम्परा थी।

मध्य प्रदेश से छत्तीसगढ़ के विभाजन के बाद उन्होंने 2003 का विधानसभा चुनाव कटघोरा निर्वाचन क्षेत्र से वरिष्ठ कांग्रेस नेता और इसी क्षेत्र से 6 बार के पूर्व विधायक रहे बोधराम कंवर के खिलाफ लड़ा, लेकिन हार गए। इसके बाद, उन्होंने 2008 का विधानसभा चुनाव कोरबा से जय सिंह अग्रवाल के खिलाफ लड़ा और केवल 587 मतों के अंतर से हार गए।
वे 1991-92 में विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण कोरबा के अध्यक्ष रहे। इससे पहले बिलासपुर जिला भाजपा के महामंत्री सहित भाजपा संगठन में विभिन्न पदों पर रहे। वे वरिष्ठ अधिवक्ता भी थे। वे मूलरूप से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक थे। उन्होंने स्वर्गीय नानाजी देशमुख के गोंडा प्रकल्प (उत्तर प्रदेश) में भी पूर्णकालिक कार्यकर्ता के रूप में अपनी सेवाएं दी थी। उन्होंने कोरबा जिले के दूरस्थ वनांचल देवपहरी गांव में आश्रम शाला की शुरुआत की, जहां आदिवासी बालक बालिकाओं के निःशुल्क आवास और शिक्षा की व्यवस्था है।
*अंतिम यात्रा*समय – अपराह्न 3 बजेदिनांक – 16 अक्टूबर 2025स्थान – निवास से मोतीसागर पारा कोरबा






